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कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की सूचना सोशल मीडिया पर देना गैर कानूनी- संगीता बेनीवाल - किशोर न्याय अधिनियम 2015

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की वर्चुअल बैठक हुई. इसमें बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की सूचना सोशल मीडिया पर देना गैर कानूनी है.

jaipur news, Sangeeta Beniwal
कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की सूचना सोशल मीडिया पर देना गैर कानूनी
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Published : May 21, 2021, 2:46 AM IST

जयपुर. अगर आप सामाजिक सरोकार समझ कर कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की सूचना सोशल मीडिया पर दे रहे हैं तो थोड़ा सावधान रहिए, क्योंकि इन बच्चों की सूचना सोशल मीडिया पर देना गैर कानूनी है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की देखरेख और पुनर्वास विषय को लेकर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों के साथ अहम वर्चुअल बैठक में यह बात सामने आई है. वर्चुअल बैठक में राजस्थान से बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने भी भाग लिया. बैठक में सोशल मीडिया पर बच्चों के गोद लेने संबंधी वायरल हो रहे मैसेज को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गई.

कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की सूचना सोशल मीडिया पर देना गैर कानूनी

यह भी पढ़ें- Rajasthan Corona Update : राजस्थान में कोरोना संक्रमण के 7,680 नए मामले, 127 मरीजों की मौत, 16,705 रिकवर हुए

बैठक में राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कोविड-19 कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की सूचना चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098, स्थानीय पुलिस, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा बाल आयोग को उपलब्ध करवाने के लिए आमजन से अपील की है. बेनीवाल ने बताया कि कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चे भी देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी में आते हैं. राज्य सरकार द्वारा किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत ऐसे बच्चों की गोपनियता को संरक्षित रखते हुए उचित देखभाल एवं संरक्षणात्मक माहौल प्रदान करने की व्यवस्था की गई है.

उन्होंने आमजन और स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील की है कि ऐसे बच्चे जो अनाथ हो गए और जिनकी देखभाल करने वाला कोई अन्य परिवारजन नहीं है, तो ऐसी स्थिति में तुरन्त चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098, पुलिस, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा बाल आयोग को वाट्सअप नम्बर 7733870243 पर सूचित करें, ताकि इन बच्चों को उचित सुरक्षा और देखभाल प्रदान की जा सके.

यह भी पढ़ें- Exclusive: प्रधानमंत्री के साथ VC में बीकानेर के ऑक्सीजन मॉडल की चर्चा

चेयरपर्सन संगीता बेनीवाल ने कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया और व्हॉट्सएप पर लगातार बच्चों को गोद लेने संबंधी मैसेज आ रहे हैं. अनाथ हुए बच्चों की पहचान को गोपनीय रखना आवश्यक है. इनकी पहचान सोशल मिडिया या अन्य किसी माध्यम से उजागर नहीं की जानी चाहिए. इन बच्चों को गोद लेने के लिए बाल कल्याण समिति के माध्यम से उचित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए. यदि कोई व्यक्ति इन बच्चों को खरीदता या बेचता है, तो इसमें किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 81 के अनुसार 5 साल की सजा और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. बाल आयोग बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है.

जयपुर. अगर आप सामाजिक सरोकार समझ कर कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की सूचना सोशल मीडिया पर दे रहे हैं तो थोड़ा सावधान रहिए, क्योंकि इन बच्चों की सूचना सोशल मीडिया पर देना गैर कानूनी है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की देखरेख और पुनर्वास विषय को लेकर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों के साथ अहम वर्चुअल बैठक में यह बात सामने आई है. वर्चुअल बैठक में राजस्थान से बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने भी भाग लिया. बैठक में सोशल मीडिया पर बच्चों के गोद लेने संबंधी वायरल हो रहे मैसेज को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गई.

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बैठक में राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कोविड-19 कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की सूचना चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098, स्थानीय पुलिस, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा बाल आयोग को उपलब्ध करवाने के लिए आमजन से अपील की है. बेनीवाल ने बताया कि कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चे भी देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी में आते हैं. राज्य सरकार द्वारा किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत ऐसे बच्चों की गोपनियता को संरक्षित रखते हुए उचित देखभाल एवं संरक्षणात्मक माहौल प्रदान करने की व्यवस्था की गई है.

उन्होंने आमजन और स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील की है कि ऐसे बच्चे जो अनाथ हो गए और जिनकी देखभाल करने वाला कोई अन्य परिवारजन नहीं है, तो ऐसी स्थिति में तुरन्त चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098, पुलिस, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा बाल आयोग को वाट्सअप नम्बर 7733870243 पर सूचित करें, ताकि इन बच्चों को उचित सुरक्षा और देखभाल प्रदान की जा सके.

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चेयरपर्सन संगीता बेनीवाल ने कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया और व्हॉट्सएप पर लगातार बच्चों को गोद लेने संबंधी मैसेज आ रहे हैं. अनाथ हुए बच्चों की पहचान को गोपनीय रखना आवश्यक है. इनकी पहचान सोशल मिडिया या अन्य किसी माध्यम से उजागर नहीं की जानी चाहिए. इन बच्चों को गोद लेने के लिए बाल कल्याण समिति के माध्यम से उचित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए. यदि कोई व्यक्ति इन बच्चों को खरीदता या बेचता है, तो इसमें किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 81 के अनुसार 5 साल की सजा और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. बाल आयोग बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है.

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