जयपुर. सुजानगढ़ और वल्लभनगर के दिवंगत विधायक कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट के सहयोगी रहे थे. ऐसे में उनके परिजनों को जिताने के लिए 2 सीटों पर पायलट खुद स्वेच्छा से प्रचार करेंगे. देखिये यह खास रिपोर्ट...
राजस्थान में 4 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इन उपचुनाव की तैयारियों में कांग्रेस पार्टी जुट भी गई है. 27 फरवरी को जिस तरीके से बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ और चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया में भले ही किसान सम्मेलन के नाम पर भीड़ जुटाई गई हो. लेकिन हकीकत यह है कि यह किसान सम्मेलन कांग्रेस पार्टी की ओर से उपचुनाव में प्रचार का शंखनाद था.
सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा था कि इन चुनावों में क्या सचिन पायलट का इस्तेमाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा करेंगे. तो अब इस सवाल का जवाब भी सामने आ चुका है. जिस तरीके से पहले सचिन पायलट का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ हेलीकॉप्टर में बैठकर श्रीडूंगरगढ़ जाना और फिर वहां से चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया में जाना. सभा में प्रमुख सीट पर बैठना और भाषण करना. यह साफ करता है कि अब कांग्रेस पार्टी में मतभेदों की बर्फ पिघलने लगी है.
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इन उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट का इस्तेमाल भी करेगी. इसके साथ ही यह भी बात जानना भी महत्वपूर्ण है कि सचिन पायलट खुद इन चारों सीटों पर कितना असर रखते हैं. तो आपको बता दें कि 4 सीटों में से सहाडा और राजसमंद सीटें गुर्जर बहुल हैं. यहां अच्छी तादाद में गुर्जर वोट बैंक है. जो सचिन पायलट के कहने पर कांग्रेस को वोट कर सकता है.
अगर सचिन पायलट की नाराजगी की खबरें अब भी जारी रहती हैं तो यह वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से फिसल सकता है. तो वहीं बाकी बची 2 सीटें सुजानगढ़ और वल्लभनगर में खुद सचिन पायलट का व्यक्तिगत इंटरेस्ट है. क्योंकि सुजानगढ़ के विधायक मास्टर भंवरलाल थे जो सचिन पायलट के प्रदेश अध्यक्ष रहते सचिन पायलट के बड़े सहयोगी थे. उनके बेटे को जिताने के लिए वह पूरा प्रयास करेंगे. वहीं वल्लभनगर के विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत तो उनके साथ नाराजगी के समय भी थे और उनके साथ मानेसर भी गए थे.
सुजानगढ़ और वल्लभनगर में सचिन पायलट के स्वेच्छा प्रचार की शर्तें
इन दोनों सीटों से सचिन पायलट का खास नाता है. यहां वे कांग्रेस के लिए स्वेच्छा से प्रचार कर सकते हैं. बशर्ते मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे और गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी को कांग्रेस टिकट दे.
सुजानगढ़ का प्रचार समीकरण
सुजानगढ़ के दिवंगत विधायक मास्टर भंवरलाल सचिन पायलट के कट्टर समर्थक थे. सचिन पायलट जब राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे तो मास्टर भंवरलाल प्रदेश कार्यकारिणी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट को महत्वपूर्ण राय दिया करते थे. सचिन पायलट भी मास्टर भंवर लाल मेघवाल की राय को पूरा सम्मान देते थे. हालांकि जब राजस्थान में सियासी घटनाक्रम हुआ उससे पहले ही मास्टर भंवरलाल मेघवाल बीमार हो गए थे.
उन्हें हमेशा पायलट का सहयोगी माना जाता रहा है. अब क्योंकि यह लगभग तय है की मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल को कांग्रेस पार्टी टिकट देगी. तो ऐसे में सचिन पायलट अपने सहयोगी रहे मास्टर भंवरलाल के बेटे को जिताने का पूरा प्रयास करेंगे. ऐसे में सुजानगढ़ सीट पर सचिन पायलट खुद स्वेच्छा से प्रचार करते हुए नजर आएंगे.
वल्लभनगर का प्रचार समीकरण
वल्लभनगर के दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत सचिन पायलट के कितने करीबी थे यह किसी से छिपा नहीं है. गजेंद्र सिंह शक्तावत उन 18 विधायकों में शामिल थे जो सचिन पायलट के साथ सरकार से नाराजगी जताते हुए मानेसर चले गए थे. गजेंद्र सिंह शक्तावत सचिन पायलट के कट्टर समर्थक थे. ऐसे में गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी को अगर कांग्रेस पार्टी टिकट देती है तो सचिन पायलट जी-जान से उस सीट को जिताने का प्रयास करेंगे.
सहाड़ा सीट पर सचिन का प्रचार करना जरूरी क्यों
सहाड़ा विधानसभा के विधायक कैलाश त्रिवेदी थे. जो सचिन पायलट समर्थक तो नहीं माने जाते थे लेकिन क्योंकि सहाड़ा विधानसभा में गुर्जर वोटर चुनाव हराने और जिताने की क्षमता रखते हैं. ऐसे में कैलाश त्रिवेदी को भी सचिन पायलट की विधानसभा चुनाव में जरूरत थी. अब कांग्रेस पार्टी इन उपचुनाव में सचिन पायलट का उपयोग जरूर करेगी. क्योंकि अगर गुर्जर समुदाय में सचिन पायलट की नाराजगी का मैसेज चला जाता है तो ऐसे में यह पूरा वोट बैंक कांग्रेस से छिटक कर भाजपा में जा सकता है. कांग्रेस पार्टी इस नुकसान से बचने के लिए पायलट का इस्तेमाल करेगी.
राजसमंद सीट पर प्रचार के लिए पायलट की जरूरत
राजसमंद विधानसभा सीट लगातार डेढ़ दशक से भाजपा के कब्जे में है. इस बार राजसमंद की भाजपा की विधायक किरण माहेश्वरी का निधन हो गया है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को आस है कि सत्ताधारी दल होने के चलते और भाजपा के पास कैंडिडेट की कमी होने के चलते कांग्रेस इन चुनाव में जीत दर्ज कर सकती है.
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इस सीट को जीतने के लिए सचिन पायलट की कांग्रेस पार्टी को जरूरत होगी. क्योंकि राजसमंद सीट पर भी गुर्जर वोट बहुतायत में हैं. अगर सचिन पायलट राजसमंद सीट पर प्रचार करेंगे तब ही यह वोट बैंक कांग्रेस के साथ रहेगा.
ऐसे में अब यह साफ है कि जहां 4 उपचुनाव सीट जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी को राजसमंद और सहाड़ा सीटों पर गुर्जरों का दबदबा होने के चलते सचिन पायलट की जरूरत है. तो वहीं अगर कांग्रेस पार्टी सुजानगढ़ में मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे और वल्लभनगर में गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी को टिकट देती है तो पायलट अपने सहयोगी रहे इन विधायकों के परिजनों को जिताने के लिए प्रचार में अपना जी-जान झोंक देंगे.