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Russia Ukraine War Impact : रसोई का बजट गड़बड़ाया, खाद्य तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल

रूस और यूक्रेन के बीच बीते कुछ दिनों से चल रहे युद्ध का असर भारत में भी देखने को मिल रहा है. इन दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी (Edible oil prices rise in India) हो रही है. भारत में सनफ्लावर तेल का आयात 70 फीसदी यूक्रेन से और 20 फीसदी रूस से किया जाता है. युद्ध के चलते बीते 9 दिनों में खाद्य तेलों की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है.

Edible oil prices rise in India
Edible oil prices rise in India
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Published : Mar 4, 2022, 5:23 PM IST

जयपुर. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं पर (Russia Ukraine crisis impact on Indian kitchens) भी पड़ने लगा है. हाल ही में कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली थी तो वहीं अब आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भी तेजी देखने को मिल रही है, खासकर सनफ्लावर यानी सूरजमुखी तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. करीब 70 फीसदी सूरजमुखी तेल का आयात यूक्रेन से जबकि 20 फीसदी आयात रूस से होता है. युद्ध के चलते सूरजमुखी तेल के आयात पर लगातार असर पड़ रहा है.

इसके बाद बाजार में इसकी कमी होने लगी है और धीरे-धीरे इसकी कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. मौजूदा समय में सूरजमुखी के तेल में 10 से 15 रु प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. जिसके बाद सूरजमुखी का तेल 200 रुपये प्रति लीटर से ऊपर पहुंच चुका है, इसके अलावा आयातित अन्य खाद्य तेलों की कीमतों में भी तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और इसका असर सरसों के तेल पर भी देखने को मिल रहा है. बीते 9 दिनों में तकरीबन 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी सरसों के तेल में हो चुकी है और सरसों तेल 15400 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच चुका है.

खाद्य तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल

कीमतों पर असर

  • कांडला पाम तेल में तकरीबन 2600 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है और इसकी कीमत 15800 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गई है.
  • कांडला सोया रिफाइंड तेल की कीमतों में 2550 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है और इसकी कीमत 16250 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच चुकी है.
  • मूंगफली तेल में तकरीबन 2700 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है और इसके दाम 16000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं.

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार महासंघ (Rajasthan Foods Trade Federation) के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि भारत में 1 करोड़ 45 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया जा रहा है. जिसमें तकरीबन 80 से 85 लाख टन पाम आयल, 10 लाख टन सोयाबीन और तकरीबन 10 लाख टन सूरजमुखी का तेल शामिल है. सूरजमुखी तेल का सर्वाधिक आयात यूक्रेन और रूस से किया जाता है. ऐसे में युद्ध के चलते बीते कुछ समय से आयात प्रभावित हुआ है और सूरजमुखी तेल की उपलब्धता कम होने के चलते अन्य खाद्य तेलों की मांग अचानक बढ़ने लगी है जिसके चलते धीरे-धीरे कीमतें खाद्य तेलों की बढ़ने लगी है.

यह भी पढ़ें- Ukraine Crisis: हमें बचा लिया, अब हमारे सपनों को बचा लीजिए...

इसके अलावा सरसों के तेल की कीमतों में भी लगातार इजाफा होने लगा है युद्ध से पहले सरसों के तेल की कीमत कम थी, लेकिन अचानक सरसों तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि यदि युद्ध के हालात बने रहे तो निश्चित तौर पर खाद्य तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है.

यह भी पढ़ें- Rajasthan Students Returned From Ukraine : दहशत और खौफ की स्थिति, बॉर्डर पर तीन दिन तक फंसे रहे...सुनिए सक्षम ने क्या कहा

खाद्य तेलों के अलावा बिस्किट, साबुन, तेल, शैंपू जैसी रोजमर्रा जरूरत में आने वाली वस्तुओं की कीमतों में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. क्योंकि इन वस्तुओं में खाद्य तेलों का उपयोग किया जाता है. ऐसे में रोजमर्रा की वस्तुओं पर बढ़ने वाले दाम का असर सीधे तौर पर घरेलू बजट पर पड़ने वाला है.

जयपुर. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं पर (Russia Ukraine crisis impact on Indian kitchens) भी पड़ने लगा है. हाल ही में कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली थी तो वहीं अब आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भी तेजी देखने को मिल रही है, खासकर सनफ्लावर यानी सूरजमुखी तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. करीब 70 फीसदी सूरजमुखी तेल का आयात यूक्रेन से जबकि 20 फीसदी आयात रूस से होता है. युद्ध के चलते सूरजमुखी तेल के आयात पर लगातार असर पड़ रहा है.

इसके बाद बाजार में इसकी कमी होने लगी है और धीरे-धीरे इसकी कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. मौजूदा समय में सूरजमुखी के तेल में 10 से 15 रु प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. जिसके बाद सूरजमुखी का तेल 200 रुपये प्रति लीटर से ऊपर पहुंच चुका है, इसके अलावा आयातित अन्य खाद्य तेलों की कीमतों में भी तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और इसका असर सरसों के तेल पर भी देखने को मिल रहा है. बीते 9 दिनों में तकरीबन 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी सरसों के तेल में हो चुकी है और सरसों तेल 15400 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच चुका है.

खाद्य तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल

कीमतों पर असर

  • कांडला पाम तेल में तकरीबन 2600 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है और इसकी कीमत 15800 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गई है.
  • कांडला सोया रिफाइंड तेल की कीमतों में 2550 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है और इसकी कीमत 16250 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच चुकी है.
  • मूंगफली तेल में तकरीबन 2700 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है और इसके दाम 16000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं.

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार महासंघ (Rajasthan Foods Trade Federation) के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि भारत में 1 करोड़ 45 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया जा रहा है. जिसमें तकरीबन 80 से 85 लाख टन पाम आयल, 10 लाख टन सोयाबीन और तकरीबन 10 लाख टन सूरजमुखी का तेल शामिल है. सूरजमुखी तेल का सर्वाधिक आयात यूक्रेन और रूस से किया जाता है. ऐसे में युद्ध के चलते बीते कुछ समय से आयात प्रभावित हुआ है और सूरजमुखी तेल की उपलब्धता कम होने के चलते अन्य खाद्य तेलों की मांग अचानक बढ़ने लगी है जिसके चलते धीरे-धीरे कीमतें खाद्य तेलों की बढ़ने लगी है.

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इसके अलावा सरसों के तेल की कीमतों में भी लगातार इजाफा होने लगा है युद्ध से पहले सरसों के तेल की कीमत कम थी, लेकिन अचानक सरसों तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि यदि युद्ध के हालात बने रहे तो निश्चित तौर पर खाद्य तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है.

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खाद्य तेलों के अलावा बिस्किट, साबुन, तेल, शैंपू जैसी रोजमर्रा जरूरत में आने वाली वस्तुओं की कीमतों में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. क्योंकि इन वस्तुओं में खाद्य तेलों का उपयोग किया जाता है. ऐसे में रोजमर्रा की वस्तुओं पर बढ़ने वाले दाम का असर सीधे तौर पर घरेलू बजट पर पड़ने वाला है.

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