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बाड़मेर दलित मौत प्रकरण पर विधानसभा में हंगामा, विपक्ष ने की CBI जांच और 1 करोड़ मुआवजे की मांग - कस्टोडियल डेथ

बाड़मेर दलित युवक मौत मामले में सरकार का जवाब सदन में दिया गया. जिसके बाद विपक्ष ने हंगामा कर दिया. एक करोड़ मुआवजा और सीबीआई जांच की मांग सदन में भाजपा की ओर से की गई. सदन में जमकर हंगामा हुआ और हालात यह बने की चर्चा को अध्यक्ष सीपी जोशी ने भाजपा विधायकों के हंगामे के चलते एक बार समाप्त कर दिया.

Barmer police custody case, Rajasthan Assembly
बाड़मेर दलित युवक मौत मामले में सदन में हंगामा
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Published : Feb 28, 2020, 3:29 PM IST

जयपुर. बाड़मेर में पुलिस कस्टडी में दलित युवक की मौत के मामले में शुक्रवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ और हालात यह बने की चर्चा को अध्यक्ष सीपी जोशी ने भाजपा विधायकों के हंगामे के चलते एक बार समाप्त कर दिया. दरअसल, शून्यकाल के बाद यह मामला उठा जब संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सरकार की ओर से बाड़मेर में दलित युवक की कस्टोडियल डेथ पर सरकार का वक्तव्य दिया.

बाड़मेर दलित युवक मौत मामले पर सरकार का सदन में जवाब

बता दें कि बाड़मेर मामले में सरकार का जवाब सदन में आया. जिसपर विपक्ष ने हंगामा करते हुए एक करोड़ मुआवजा और सीबीआई की जांच की मांग सदन में रखी. वहीं भाजपा विधायकों ने हंगामा किया तो स्पीकर सीपी जोशी ने चर्चा समाप्त कर दी. वहीं बाड़मेर मामले पर दो बार हुई चर्चा में सरकार ने माना कि जितेंद्र के खिलाफ कोई मामला नहीं था.

पढ़ें: सदन में बवाल उठने से पहले सरकार का एक्शन, दलित युवक की पुलिस कस्टडी में मौत पर चर्चा

मंत्री धारीवाल ने कहा कि इस मामले में एसपी को एपीओ कर दिया गया है और पूरे थाने को लाइन हाजिर कर दिया है. जिस पर विपक्ष ने पुलिस की सीबीआई जांच करवाने की मांग उठाई और किसी एक परिजन को सरकारी नौकरी देने की बात कही.

इस दौरान सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सरकार के जवाब से बिल्कुल साफ है की जितेंद्र को मृतक माना गया और उस पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई. इसका मतलब पुलिस ने बिना किसी रिपोर्ट के मृतक को उठाया और यह सरकार की भी जिम्मेदारी है कि किसी निर्दोष को क्यों मारा गया. विपक्ष ने मामले में जांच सीबीआई से करवाने और फास्ट ट्रैक में यह मामला देने की डिमांड रखी.

वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आज तक किसी कस्टोडियल डेथ में किसी पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. ऐसे में जो दोषी हैं, उनको नौकरी से पहले निकाला जाए और अगर नियम नहीं है तो फिर नियम बनाए जाएं. कटारिया ने स्वीकार किया कि उनके समय में भी जब कस्टोडियल डेथ हुई थी तो आज तक किसी को सजा नहीं मिल सकी है.

पढ़ें: जांच से पहले पुलिस ने स्वीकारी गलती, एडीजी बोले- मैं मानता हूं जीतू को अवैध रुप से हिरासत में रखा गया था

इस मामले पर कुछ भाजपा विधायक और भी बोलना चाह रहे थे लेकिन स्पीकर सीपी जोशी ने मना कर दिया. इस पर भाजपा विधायक नहीं माने तो स्पीकर सीपी जोशी ने चर्चा समाप्त कर दी. इसके बाद भाजपा के विधायक वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे.

जयपुर. बाड़मेर में पुलिस कस्टडी में दलित युवक की मौत के मामले में शुक्रवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ और हालात यह बने की चर्चा को अध्यक्ष सीपी जोशी ने भाजपा विधायकों के हंगामे के चलते एक बार समाप्त कर दिया. दरअसल, शून्यकाल के बाद यह मामला उठा जब संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सरकार की ओर से बाड़मेर में दलित युवक की कस्टोडियल डेथ पर सरकार का वक्तव्य दिया.

बाड़मेर दलित युवक मौत मामले पर सरकार का सदन में जवाब

बता दें कि बाड़मेर मामले में सरकार का जवाब सदन में आया. जिसपर विपक्ष ने हंगामा करते हुए एक करोड़ मुआवजा और सीबीआई की जांच की मांग सदन में रखी. वहीं भाजपा विधायकों ने हंगामा किया तो स्पीकर सीपी जोशी ने चर्चा समाप्त कर दी. वहीं बाड़मेर मामले पर दो बार हुई चर्चा में सरकार ने माना कि जितेंद्र के खिलाफ कोई मामला नहीं था.

पढ़ें: सदन में बवाल उठने से पहले सरकार का एक्शन, दलित युवक की पुलिस कस्टडी में मौत पर चर्चा

मंत्री धारीवाल ने कहा कि इस मामले में एसपी को एपीओ कर दिया गया है और पूरे थाने को लाइन हाजिर कर दिया है. जिस पर विपक्ष ने पुलिस की सीबीआई जांच करवाने की मांग उठाई और किसी एक परिजन को सरकारी नौकरी देने की बात कही.

इस दौरान सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सरकार के जवाब से बिल्कुल साफ है की जितेंद्र को मृतक माना गया और उस पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई. इसका मतलब पुलिस ने बिना किसी रिपोर्ट के मृतक को उठाया और यह सरकार की भी जिम्मेदारी है कि किसी निर्दोष को क्यों मारा गया. विपक्ष ने मामले में जांच सीबीआई से करवाने और फास्ट ट्रैक में यह मामला देने की डिमांड रखी.

वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आज तक किसी कस्टोडियल डेथ में किसी पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. ऐसे में जो दोषी हैं, उनको नौकरी से पहले निकाला जाए और अगर नियम नहीं है तो फिर नियम बनाए जाएं. कटारिया ने स्वीकार किया कि उनके समय में भी जब कस्टोडियल डेथ हुई थी तो आज तक किसी को सजा नहीं मिल सकी है.

पढ़ें: जांच से पहले पुलिस ने स्वीकारी गलती, एडीजी बोले- मैं मानता हूं जीतू को अवैध रुप से हिरासत में रखा गया था

इस मामले पर कुछ भाजपा विधायक और भी बोलना चाह रहे थे लेकिन स्पीकर सीपी जोशी ने मना कर दिया. इस पर भाजपा विधायक नहीं माने तो स्पीकर सीपी जोशी ने चर्चा समाप्त कर दी. इसके बाद भाजपा के विधायक वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे.

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