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RT-PCR जांच की लागत को देखते हुए जनहित में घटाई कीमत - Rajasthan News

RT-PCR जांच की दरें कम करने के खिलाफ निजी लैब संचालकों की ओर से दायर याचिका में राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया है. राजस्थान हाईकोर्ट मामले में 12 मई को सुनवाई करेगा.

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Published : May 4, 2021, 7:16 PM IST

जयपुर. आरटी-पीसीआर जांच की दरें कम करने के खिलाफ निजी लैब संचालकों की ओर से दायर याचिका में राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया है. राजस्थान हाईकोर्ट मामले में 12 मई को सुनवाई करेगा.

पढ़ें- 'कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक, आमजन कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करें नहीं तो स्थिति भयावह हो सकती है'

राज्य सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया कि महामारी अधिनियम की धारा 4 के तहत समय-समय पर अधिसूचनाएं जारी कर जांच दर 4500 रुपए घटाकर अब 350 रुपए की गई है. याचिकाकर्ताओं ने धारा 4 को चुनौती दिए बिना सीधे ही अधिसूचनाओं को चुनौती दे दी. इसके अलावा कीमत तय करने की हाईकोर्ट न्यायिक समीक्षा भी नहीं कर सकता है.

जवाब में कहा गया कि प्रदेश में आरटी-पीसीआर जांच के लिए 73 लैब को अधिकृत किया गया है. इनमें 40 सरकारी और 33 निजी लैब हैं. निजी लैब में से सिर्फ 12 ने ही याचिका दायर कर कीमत कम करने को चुनौती दी है, जबकि शेष लैब तय कीमतों से संतुष्ट होकर काम कर रहे हैं.

जवाब में कहा गया कि एक हजार जांच करने की औसत लागत 208 रुपए प्रति जांच आती है. ऐसे में आम जन पर आर्थिक भार ना पड़े और लैब संचालकों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही यह दर तय की है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाए. गौरतलब है कि निजी लैब संचालकों ने 620 रुपए प्रति जांच की लागत बताते हुए राज्य सरकार की ओर से कीमत कम करने को चुनौती दी है. जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था.

जयपुर. आरटी-पीसीआर जांच की दरें कम करने के खिलाफ निजी लैब संचालकों की ओर से दायर याचिका में राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया है. राजस्थान हाईकोर्ट मामले में 12 मई को सुनवाई करेगा.

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राज्य सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया कि महामारी अधिनियम की धारा 4 के तहत समय-समय पर अधिसूचनाएं जारी कर जांच दर 4500 रुपए घटाकर अब 350 रुपए की गई है. याचिकाकर्ताओं ने धारा 4 को चुनौती दिए बिना सीधे ही अधिसूचनाओं को चुनौती दे दी. इसके अलावा कीमत तय करने की हाईकोर्ट न्यायिक समीक्षा भी नहीं कर सकता है.

जवाब में कहा गया कि प्रदेश में आरटी-पीसीआर जांच के लिए 73 लैब को अधिकृत किया गया है. इनमें 40 सरकारी और 33 निजी लैब हैं. निजी लैब में से सिर्फ 12 ने ही याचिका दायर कर कीमत कम करने को चुनौती दी है, जबकि शेष लैब तय कीमतों से संतुष्ट होकर काम कर रहे हैं.

जवाब में कहा गया कि एक हजार जांच करने की औसत लागत 208 रुपए प्रति जांच आती है. ऐसे में आम जन पर आर्थिक भार ना पड़े और लैब संचालकों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही यह दर तय की है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाए. गौरतलब है कि निजी लैब संचालकों ने 620 रुपए प्रति जांच की लागत बताते हुए राज्य सरकार की ओर से कीमत कम करने को चुनौती दी है. जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था.

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