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जयपुरः गर्भवती की जांच नहीं कराने पर महिला चिकित्सक पर लगा 25 लाख रुपए का हर्जाना

राजधानी की एक गर्भवती महिला की जांच नहीं कराने के चलते राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज कर रही डॉक्टर पर 25 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने परिवाद पेश करने की तिथि 14 फरवरी 2017 से हर्जाना राशि पर नौ फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है.

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गर्भवती की जांच नहीं कराने पर चिकित्सक पर लगा 25 लाख का हर्जाना
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Published : Feb 18, 2020, 8:36 PM IST

जयपुर. राजधानी की एक गर्भवती महिला की जांच नहीं कराने के चलते राज्य उपभोक्ता आयोग बैंच संख्या-1 ने महिला चिकित्सक पर 25 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. दरअसल, गर्भवती महिला की जांच नहीं कराने पर गर्भस्थ शिशु की मानसिक बीमारी के बारे में जानकारी नहीं मिलने के मामले में उम्मेद अस्पताल जोधपुर की महिला चिकित्सक कल्पना मेहता पर ये हर्जाना लगाया गया है.

इस दौरान आयोग ने परिवाद पेश करने की तिथि 14 फरवरी 2017 से हर्जाना राशि पर नौ फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है. इसके साथ ही आयोग ने चिकित्सा विभाग को जिम्मेदार नहीं मानते हुए विभाग के खिलाफ दायर परिवाद को खारिज कर दिया है. साथ ही आयोग ने यह आदेश नाबालिग बच्चे की मां नीता शर्मा की ओर से दायर परिवाद पर दिए है.

पढ़ें- जयपुर में वन कर्मियों के लिए निशुल्क मेडिकल कैंप का आयोजन

आयोग ने कहा कि प्रसूता की 38 साल की उम्र होने और उसके थॉयराईड से पीड़ित होने के बावजूद चिकित्सक ने सामान्य अल्ट्रासांउड ही कराई. इसके अलावा गर्भस्थ शिशु के डाउन सिन्ड्रोम के खतरे से जुड़े टेस्ट भी नहीं कराए, जिसके चलते शिशु बीमारी का जीवनभर शिकार रहेगा.

परिवाद में कहा गया है कि गर्भवती रहने के दौरान सितंबर 2014 में उसने डॉ. कल्पना मेहता से संपर्क कर इलाज लेना शुरू किया. उसकी ओर से चिकित्सक को अपनी उम्र और थॉयराईड बीमारी के बारे में भी जानकारी दी थी, लेकिन चिकित्सक ने संबंधित टेस्ट नहीं कराए.

पढ़ें- जयपुरः ब्राउन शुगर के साथ पुलिस के हत्थे चढ़े 4 तस्कर, एक महिला भी शामिल

इस टेस्ट से यह पता चलता कि गर्भस्थ शिशु ऐसी बीमारी से ग्रस्त है, जिससे उसका मानसिक विकास नौ साल की उम्र तक ही होगा. इस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने विभाग को जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए चिकित्सक पर 25 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.

जयपुर. राजधानी की एक गर्भवती महिला की जांच नहीं कराने के चलते राज्य उपभोक्ता आयोग बैंच संख्या-1 ने महिला चिकित्सक पर 25 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. दरअसल, गर्भवती महिला की जांच नहीं कराने पर गर्भस्थ शिशु की मानसिक बीमारी के बारे में जानकारी नहीं मिलने के मामले में उम्मेद अस्पताल जोधपुर की महिला चिकित्सक कल्पना मेहता पर ये हर्जाना लगाया गया है.

इस दौरान आयोग ने परिवाद पेश करने की तिथि 14 फरवरी 2017 से हर्जाना राशि पर नौ फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है. इसके साथ ही आयोग ने चिकित्सा विभाग को जिम्मेदार नहीं मानते हुए विभाग के खिलाफ दायर परिवाद को खारिज कर दिया है. साथ ही आयोग ने यह आदेश नाबालिग बच्चे की मां नीता शर्मा की ओर से दायर परिवाद पर दिए है.

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आयोग ने कहा कि प्रसूता की 38 साल की उम्र होने और उसके थॉयराईड से पीड़ित होने के बावजूद चिकित्सक ने सामान्य अल्ट्रासांउड ही कराई. इसके अलावा गर्भस्थ शिशु के डाउन सिन्ड्रोम के खतरे से जुड़े टेस्ट भी नहीं कराए, जिसके चलते शिशु बीमारी का जीवनभर शिकार रहेगा.

परिवाद में कहा गया है कि गर्भवती रहने के दौरान सितंबर 2014 में उसने डॉ. कल्पना मेहता से संपर्क कर इलाज लेना शुरू किया. उसकी ओर से चिकित्सक को अपनी उम्र और थॉयराईड बीमारी के बारे में भी जानकारी दी थी, लेकिन चिकित्सक ने संबंधित टेस्ट नहीं कराए.

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इस टेस्ट से यह पता चलता कि गर्भस्थ शिशु ऐसी बीमारी से ग्रस्त है, जिससे उसका मानसिक विकास नौ साल की उम्र तक ही होगा. इस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने विभाग को जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए चिकित्सक पर 25 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.

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