जयपुर. प्रदेश में शराब की दुकानें खुलने के पहले 2 दिन में ही करीब 152 करोड़ रुपए की शराब की बिक्री हुई है, इससे सरकार को भी करीब 45 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है. लॉकडाउन में 42 दिन तक हलक तर करने को तड़प रहे सुरा प्रेमियों ने अनैतिकता की सारी हदें तोड़ दी.
दुकानें खुलते ही शराब की दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. हालांकि सरकार अपने मंसूबों में सफल रही. सरकार ने जिस उद्देश्य से शराब दुकानों को खोलने की मंजूरी दी थी वह पहले 2 दिन में ही पूरा होता दिखाई दिया.
दो दिन में मिला भारी राजस्व
शराब दुकानें खोलने के पहले दिन यानी 4 मई को प्रदेश में 59 करोड़ रुपए की शराब महज 2 घंटे में ही बेच दी गई. वहीं आज 5 मई को यह आंकड़ा 93 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा. लोग दुकान फिर से बंद करने के अनजाने डर के चलते शराब का भारी स्टॉक खरीदते दिखाई दिए.
आबकारी विभाग और स्थानीय प्रशासन की तमाम कवायद के बीच काफी जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं हो पाई. सरकार ने शराब दुकानों पर एक बार में 5 से अधिक ग्राहकों के नहीं होने के आदेश दिए थे, लेकिन इसके विपरीत शराब दुकानों पर लंबी कतारें देखने को मिली.
स्टॉक करने के लिए खरीदी शराब
भीड़ में ऐसे भी कई शराब के खरीददार थे जो एक बार में 10 से 30 हजार रुपये तक की शराब खरीदकर ले गए. यही नहीं कई दुकानों पर तो हालात इस कदर थे कि दुकान मालिक को रसूखदारों से फोन करवा कर जल्द शराब देने का दबाव डलवाते भी दिखाई दिए.
पुलिस बनी लिकर वॉरियर
पुलिस और आबकारी निरोधक दल के जवानों को भीड़ को काबू करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अचरज की बात यह है कि जो पुलिस कोरोनावायरस संक्रमण के चलते कर्फ्यू ग्रस्त और कंटेंटमेंट क्षेत्रों में मास मैनेजमेंट में लगी हुई थी उसे शराब के शौकीनों के मैनेजमेंट में झोंक दिया गया.
जो जवान अभी तक कोरोना वॉरियर्स के तौर पर खुद पर गर्व महसूस कर रहे थे. वह आज लिकर वॉरियर्स की तरह काम करते भी नजर आए. दूसरी और देखे तो नैतिकता पर शराबियों की लालसा भारी पड़ती दिखाई दी.
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हालांकि, सरकार जरूर अपने मंसूबों में सफल रही. 2 दिन में ही सरकार को आबकारी राजस्व के तौर पर करीब 45 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ है. पहले दिन शराब की दुकानों पर भारी भीड़ को देखते हुए राजधानी जयपुर में 2 घंटे में दुकानों को बंद करवा दिया गया था.
शराब को देख कोरोना का छुमंतर
इसके बाद आज शराब दुकानों पर बैरिकेड लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के साथ शराब की बिक्री की गई. कई दुकानों पर भारी भीड़ होने पर टोकन सिस्टम भी लागू किया गया. इसके बावजूद भी शराब की दुकानों पर लंबी लाइनें लगती हुई नजर आई.
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जो लोग लॉकडाउन के पहले दो चरण में अति आवश्यक काम के लिए भी घर से बाहर नहीं निकल रहे थे वह भी कड़ी धूप में कोरोनावायरस से बेखौफ हलक तर करने की लालसा में घंटों कतारों में खड़े रहे. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जिस राजस्व की उम्मीद में सरकार ने कोरोना संकट के बीच शराब दुकान खोलने का जो जोखिम भरा कदम उठाया है, उसमें सरकार तो सफल रही, लेकिन लोग खुद पर काबू नहीं कर पाए.