जयपुर. छोटी काशी कहे जाने वाले जयपुर की छोटी चौपड़ पर स्थित रोजगारेश्वर मंदिर में सावन में अलग ही छटा बिखरी हुई है. हर दिन भगवान के दर्शन और जलाभिषेक करने के लिए सैकड़ों लोग यहां पहुंचते हैं. वहीं शाम को शिव परिवार का विशेष शृंगार किया जाता है. साल 2015 में मेट्रो के कारण इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था. लोगों ने इसका जमकर विरोध किया और आखिर में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. इसके बाद से इस मंदिर की मान्यता पहले से ज्यादा बढ़ गई है.
जयपुर के बीचोंबीच छोटी चौपड़ से लगते हुए त्रिपोलिया बाजार में 286 साल पहले राज परिवार की ओर से इस (Rojgareshwar Mahadev Temple) मंदिर का निर्माण किया गया. मान्यता थी कि भगवान शिव यहां आने वाले बेरोजगार की रोजगार की मुराद पूरी करते हैं. हालांकि 2015 में भूमिगत मेट्रो के निर्माण कार्य के दौरान मंदिर को क्रेन के माध्यम से जमींदोज किया गया था. बताया जाता है कि जो व्यक्ति क्रेन चला रहा था, उसने इस काम को करने से पहले हाथ जोड़कर भगवान से माफी मांगी थी.
रोजगारेश्वर मंदिर को लेकर लोग विरोध करते हुए सड़कों पर उतर आए थे. नतीजतन राजस्थान सरकार को रोजगारेश्वर मंदिर को दोबारा निर्मित कराने का फैसला लेना पड़ा. हालांकि मंदिर के दोबारा निर्माण होने के बाद अब इसकी मान्यता पहले से भी ज्यादा बढ़ गई है. श्रद्धालु यहां भक्ति भाव के साथ आकर हर दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं. हर व्यापारी अपने प्रतिष्ठान पर जाने से पहले यहां मत्था जरूर टेकता है. लोगों की आस्था है कि यहां भगवान शिव से जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वो पूरी होती है. भगवान बेरोजगारों को रोजगार, निर्धन को धन और सुख-समृद्धि देते हैं.
मंदिर तुड़वाने वाली सरकार को गंवानी पड़ी थी सत्ता : साल 2015 में विकास के नाम पर आस्था और संस्कृति को भेंट चढ़ा दिया गया था. जिस रोजगारेश्वर महादेव की उपासना कर लोग नौकरी तलाशने निकलते थे, उसे तत्कालीन बीजेपी सरकार ने मेट्रो की राह में बाधा मानते हुए धवस्त करा दिया था. जिसका खामियाजा पार्टी को सरकार गंवाकर भुगतना पड़ा. तत्कालीन बीजेपी सरकार को न सिर्फ मंदिर के मामले में बैकफुट पर आना पड़ा बल्कि उसे 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी. राजस्थान में भाजपा का वोट प्रतिशत 38.8 रहा.
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जबकि राज्य में सबसे पड़ी पार्टी बनने वाली कांग्रेस का वोट प्रतिशत 39.3 रहा था. दोनों पार्टियों के बीच का मत प्रतिशत का अंतर महज 0.5 प्रतिशत था. कांग्रेस को करीब 1 करोड़ 39 लाख 35 हजार वोट मिले थे. जबकि भाजपा को करीब 1 करोड़ 37 लाख 57 हजार वोट मिले. दोनों को मिले वोट में महज एक लाख 70 हजार वोटों का अंतर था. वहीं मंदिर से लगती हुई तीन विधानसभा जिसे बीजेपी का गढ़ कहा जाता था, वहां उनका सूपड़ा साफ हो गया. तत्कालीन किशनपोल विधायक मोहनलाल गुप्ता, हवामहल विधायक सुरेंद्र पारेख और आदर्श नगर विधायक अशोक परनामी का रोजगार यानी उनकी सीट उनसे छिन गई.
मिर्जा इस्माइल ने भी मंदिर को हटाने की कोशिश की थी : जयपुर की बसावट के दौरान बनाए गए प्राचीन मंदिरों में से एक रोजगारेश्वर महादेव मंदिर को मिर्जा इस्माइल ने भी हटाने की कोशिश की थी. तब उनके बेटे गंभीर बीमार हो गए थे. जयपुर के विद्वानों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि मंदिर को तोड़ना ठीक नहीं. इसी कारण से मिर्जा इस्माइल ने इस मंदिर को और भव्यता के साथ बनाया और 11 अन्य ज्योतिर्लिंग भी स्थापित किए.