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जयपुर : रोडवेज कर्मचारियों से की जा रही वसूली पर रोक, मांगा जवाब - रोजवेज कर्मचारी हाईकोर्ट फैसला

याचिकाकर्ता को वेतन वृद्धि और नियमित वेतन श्रृंखला का लाभ अदालती आदेश पर ही दिया गया था. ऐसे में वित्त विभाग के आदेश की आड में उनका मूल वेतन कम कर रिकवरी नहीं वसूली जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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रोडवेज कर्मचारियों से की जा रही वसूली पर रोक
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Published : Feb 13, 2021, 7:42 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज के चालक और परिचालकों से संशोधित वेतनमान के आधार पर की जा रही रिकवरी पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने आरएसआरटीसी के एमडी और कार्यकारी निदेशक से जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश रामकरण पोसवाल की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ता को नियमित वेतन श्रंखला का लाभ देने के बाद नौ साल की सेवा पूरी होने पर एसीपी और 2800 रुपए ग्रेड पे के साथ पे-फिक्सेशन कर दिया. वहीं वित्त विभाग के 18 दिसंबर 2017 के आदेश की पालना में याचिकाकर्ता का मूल वेतन कम कर दिया और संशोधित वेतन निर्धारण के तहत पूर्व में दी गई राशि को अधिक बताते हुए रिकवरी निकाल दी.

पढ़ें- कृषि का व्यवसाय भारत माता का व्यवसाय है, जिसका मालिक कोई एक नहीं बल्कि भारत की 40 फीसदी जनता है: राहुल गांधी

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को वेतन वृद्धि और नियमित वेतन श्रृंखला का लाभ अदालती आदेश पर ही दिया गया था. ऐसे में वित्त विभाग के आदेश की आड में उनका मूल वेतन कम कर रिकवरी नहीं वसूली जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज के चालक और परिचालकों से संशोधित वेतनमान के आधार पर की जा रही रिकवरी पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने आरएसआरटीसी के एमडी और कार्यकारी निदेशक से जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश रामकरण पोसवाल की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ता को नियमित वेतन श्रंखला का लाभ देने के बाद नौ साल की सेवा पूरी होने पर एसीपी और 2800 रुपए ग्रेड पे के साथ पे-फिक्सेशन कर दिया. वहीं वित्त विभाग के 18 दिसंबर 2017 के आदेश की पालना में याचिकाकर्ता का मूल वेतन कम कर दिया और संशोधित वेतन निर्धारण के तहत पूर्व में दी गई राशि को अधिक बताते हुए रिकवरी निकाल दी.

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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को वेतन वृद्धि और नियमित वेतन श्रृंखला का लाभ अदालती आदेश पर ही दिया गया था. ऐसे में वित्त विभाग के आदेश की आड में उनका मूल वेतन कम कर रिकवरी नहीं वसूली जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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