जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को (Rajasthan Assembly Session) नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शालेह मोहम्मद पर ओबीसी में आने वाले कुछ समाजों को धर्म परिवर्तन का रास्ता देने का आरोप लगाया. कटारिया ने मंत्री के उस पत्रनुमा आदेश को भी सदन में रखा, जिसमें मंत्री ने कलेक्टर को चीता, मेहराज और कठास समाज को अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र बनवाने में कुछ छूट देने के निर्देश दिए.
शून्यकाल में सदन में गुलाबचंद कटारिया ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए अल्पसंख्यक मामलात मंत्री का ध्यान इस ओर आकर्षित किया. कटारिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1995 के गजट नोटिफिकेशन में अल्पसंख्यक समाज में आने वाले समाजों को तय किया है. वहीं, समय-समय पर इन समाजों को अल्पसंख्यक से जुड़ा प्रमाण पत्र बनवाने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए भी अलग-अलग आदेश राज्य सरकारों ने निकाले हैं, लेकिन अल्पसंख्यक मामलात मंत्री के एक आदेश से अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद और पाली जिलों में एक गंभीर स्थिति बन गई है.
कटारिया ने कहा कि यहां चीता, मेहराज और कठास समाज जो केंद्र के अनुसूची में ओबीसी में इन्हें यहां अल्पसंख्यक समाज के प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं. कटारिया ने कहा कि 16 दिसंबर 2019 को मौजूदा सरकार में एक पत्र निकाला गया, जिसमें मेहराज, चीता, कठास समाज को अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र बनाने के लिए स्वयं व दो उत्तरदायित्व लोगों के शपथ पत्र के आधार पर अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र बनाए जाने के निर्देश दिए गए. कटारिया ने कहा कि यह आदेश जो निकाला गया है वो एक नए संघर्ष को जन्म दे रहा है.
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक मामलात मंत्री ने यह निर्देश व्यक्ति के पत्र को आधार बनाकर निकाला वह जलालुद्दीन है जो इस इलाके में इस प्रकार के संघर्ष की स्थिति को पैदा करता आ रहा है. कटारिया के अनुसार मंत्री स्वयं कलेक्टर को इस संबंध में आदेश देकर धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को रास्ता देने वापस आने का काम कर रहा है. इस बीच ब्यावर से आने वाले भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत ने भी इसी पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि इस आदेश में बनने वाले अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र जीवन उपरांत के लिए बनाए गए हैं.
मंत्री ने कहा- आरोप निराधार, दी यह सफाई : वहीं, मंत्री सालेह मोहम्मद ने गुलाबचंद कटारिया के आरोपों को निराधार (Minister Saleh Mohammad on Religious Conversion Issue) बताया और कहा कि साल 2019 में जो आदेश निकाला गया वो विभिन्न समाजों को अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र मिलने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए निकाला गया था. खुद जैन समाज से जुड़ा एक प्रतिनिधिमंडल जयपुर में उनसे मिला था और उनकी शिकायत पर ही यह आदेश निकाला गया था.
मंत्री ने कहा कि हम धर्म का सटिफिकेट नहीं दे रहे बस यही चाहते हैं कि अल्पसंख्यकों के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, उसका लाभ संबंधित लोगों को पूरा मिले. मंत्री ने यह भी कहा कि यदि प्रमाण पत्र गलत बनाया दिया जाता है तो उसकी शिकायत के लिए भी जिला स्तर पर जिला कलेक्टर और राज्य स्तर पर प्रमुख शासन सचिव स्तर पर कमेटी बनी गई है. हमने केवल पूर्व में जो परिपत्र निकले थे उसी के आधार पर यह काम करने के आदेश दिए थे.
हालांकि, मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने सदन में हंगामा करने की कोशिश की, लेकिन स्पीकर सीपी जोशी ने यह कहते हुए शांत कर दिया कि मंत्री का इंटेंशन ऐसा नहीं था जिस तरह विपक्ष के साथी बता रहे हैं. इस दौरान विधायक शंकर सिंह रावत को स्पीकर ने सदन से बाहर निकालने तक की चेतावनी दे डाली.