जयपुर. शिक्षक पात्रता परीक्षा- 2021 के लेवल प्रथम में बीएड धारकों को शामिल नहीं करने के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई है. याचिका में संभवत: 15 जनवरी को सुनवाई हो सकती है.
खंडपीठ के समक्ष पेश याचिका में राज्य सरकार की 11 जनवरी को जारी परीक्षा नोटिफिकेशन और एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन को चुनौती दी है. याचिका में एनसीटीई की गाइडलाइन को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार करते हुए कहा गया है कि जब गाइडलाइन ही गलत है तो उनके आधार पर रीट की नोटिफिकेशन कैसे सही हो सकती है.
इसके अलावा बीएड धारकों को रीट लेवल प्रथम में शामिल नहीं करने और केवल बीएसटीसी धारकों को ही शामिल करने को भी आधार बनाया है. लुबना फातिमा की ओर से दायर याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार, एनसीटीई के चेयरमैन और रीट-2021 समन्वयक सहित अन्य को पक्षकार बनाया है.
याचिका में कहा गया कि रीट 2021 के लेवल प्रथम में बीएड धारकों को शामिल नहीं किया गया है और उनसे कम योग्यता वाले बीएसटीसी धारकों को शामिल किया है. ये शिक्षा के अधिकार कानून के खिलाफ है, क्योंकि कानून ये कहता है कि बच्चों को उच्च स्तरीय और गुणवत्तायुक्त शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता. ऐसे में रीट लेवल प्रथम में बीएड और अन्य उच्च योग्यता वालों को शामिल नहीं करना संविधान के प्रावधानों के अनुसार गलत है.
नगर निगम के अधिकारियों को अवमानना नोटिस
शहर के अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-3 ने अदालती रोक के बावजूद भी एकाजल के वाटर डिस्पेंसर यूनिट पर तोड़फोड़ करने पर नगर निगमों के अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. अदालत ने ये आदेश एकाजल की अवमानना अर्जी पर दिए.
अवमानना अर्जी में कहा गया कि अदालत ने पिछले 8 जनवरी को आदेश जारी कर वाटर डिस्पेंसर यूनिटों पर किसी भी तरह की तोड़फोड़ नहीं करने के लिए दोनों नगर निगमों को पाबंद किया था. इसके बाद भी निगम की ओर से वाटर डिस्पेंसर यूनिटों पर तोड़फोड़ की गई. ऐसे में अवमाननाकर्ता अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए.
गौरतलब है कि निगम की ओर से एकाजल कंपनी की ओर से वाटर डिस्पेंसर यूनिटों पर विज्ञापन लगाने पर तोडफोड की कार्रवाई की थी. इस पर कंपनी की ओर से अदालत में दावा पेश कर 16 अप्रैल 2018 को हुए अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन कर निगम पर तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया था. इस पर अदालत ने निगम को तोड़फोड़ नहीं करने के लिए पाबंद किया था.