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कामगारों का दर्द: नहीं है राशन, बचा लो सरकार

रोज कमाकर अपना पेट भरने वाले दिहाड़ी मजदूरों के लिए लॉक डाउन की स्थिति में रोजगार का संकट छाया हुआ है. इन्हें खाने-पीने के लाले पड़े हुए हैं. ऐसे में लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही दूसरे राज्यों में अपने घरों की ओर निकलने को मजबूर हुए हैं. या फिर दूसरे राज्यों में ही फंस कर रह गए हैं.

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प्रशासन से राशन की गुहार
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Published : Mar 28, 2020, 6:19 PM IST

Updated : Mar 28, 2020, 6:42 PM IST

जयपुर. लॉक डाउन के बाद जयपुर के अलग-अलग इलाकों में फंसे दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोटी का संकट आ चुका है. हालात यह है कि अब ये लोग अपने घरों से निकलकर प्रशासन की मुखालफत करने लगे हैं.

मुश्किल में दिहाड़ी मजदूर

इनका कहना है कि नजदीकी किराना स्टोर पर आटा दोगुने दाम से मिल रहा है. सरकारी गाड़ी आती है और 5 से 7 खाने के पैकेट पकड़ाकर चली जाती है. बाकी मोहल्ला अगली गाड़ी के इंतजार में यूं ही खड़ा रहता है. हालात यह है कि इन लोगों के लिए फिलहाल जो राहत है, वह सिर्फ जयपुर शहर तक ही सिमटी हुई है. बाहर की बात करें तो चुनौतियां और ज्यादा हैं.

यह भी पढ़ेंः अजमेर में Corona का पहला रोगी आया सामने, परिजनों की जांच जारी, इलाके में कर्फ्यू

ऐसे में जब रिएलिटी चेक के लिए ईटीवी भारत की टीम विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एरिया के रोड नंबर 17 पर पहुंची तो वहां पर ईटीवी की टीम से गुहार लगाने के लिए कॉलोनी की औरतें बाहर आ गईं और अपने गुस्से का प्रशासन के प्रति इजहार किया. इन महिलाओं का कहना है कि कारखाने पर जाने से मालिक ने इंकार कर दिया. घर चलाने के लिए पैसा नहीं है और बच्चे हर वक्त और रोटी की मांग करते हैं, ऐसे में जाएं तो जाएं कहां.

प्रशासन से लगाई राशन की गुहार

यह भी पढ़ेंः CM गहलोत ने PM मोदी और अमित शाह से फोन पर की बात, कोरोना संकट से निपटने के लिए मांगा सहयोग

जाहिर है कि जो लोग पलायन करने में सक्षम थे, वे लोग 3 दिन से लगातार निकलते जा रहे हैं. लेकिन जो लोग कुनबे के साथ घर बसाकर जयपुर में बैठे हैं. वे तो कहीं जा भी नहीं सकते और रोटी पाना उनके लिए मुश्किल हो गया है.

बिहारी मजदूरों की मांग है कि अब उन्हें खाने के पैकेट नहीं, बल्कि कच्चा राशन ही मिल जाए तो वे लोग अपने घर पर गुजारा कर लेंगे. उन्हें बाहर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ऐसे में सवाल एक बार फिर है प्रशासन की हेल्पलाइन और उस कवायद का, जिसका दावा तो हो रहा है. लेकिन उस पर अमल होता हुआ नजर नहीं आता. इन लोगों को भी सरकार की तरफ से होने वाले इंतजामों की जानकारी नहीं थी.

जयपुर. लॉक डाउन के बाद जयपुर के अलग-अलग इलाकों में फंसे दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोटी का संकट आ चुका है. हालात यह है कि अब ये लोग अपने घरों से निकलकर प्रशासन की मुखालफत करने लगे हैं.

मुश्किल में दिहाड़ी मजदूर

इनका कहना है कि नजदीकी किराना स्टोर पर आटा दोगुने दाम से मिल रहा है. सरकारी गाड़ी आती है और 5 से 7 खाने के पैकेट पकड़ाकर चली जाती है. बाकी मोहल्ला अगली गाड़ी के इंतजार में यूं ही खड़ा रहता है. हालात यह है कि इन लोगों के लिए फिलहाल जो राहत है, वह सिर्फ जयपुर शहर तक ही सिमटी हुई है. बाहर की बात करें तो चुनौतियां और ज्यादा हैं.

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ऐसे में जब रिएलिटी चेक के लिए ईटीवी भारत की टीम विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एरिया के रोड नंबर 17 पर पहुंची तो वहां पर ईटीवी की टीम से गुहार लगाने के लिए कॉलोनी की औरतें बाहर आ गईं और अपने गुस्से का प्रशासन के प्रति इजहार किया. इन महिलाओं का कहना है कि कारखाने पर जाने से मालिक ने इंकार कर दिया. घर चलाने के लिए पैसा नहीं है और बच्चे हर वक्त और रोटी की मांग करते हैं, ऐसे में जाएं तो जाएं कहां.

प्रशासन से लगाई राशन की गुहार

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जाहिर है कि जो लोग पलायन करने में सक्षम थे, वे लोग 3 दिन से लगातार निकलते जा रहे हैं. लेकिन जो लोग कुनबे के साथ घर बसाकर जयपुर में बैठे हैं. वे तो कहीं जा भी नहीं सकते और रोटी पाना उनके लिए मुश्किल हो गया है.

बिहारी मजदूरों की मांग है कि अब उन्हें खाने के पैकेट नहीं, बल्कि कच्चा राशन ही मिल जाए तो वे लोग अपने घर पर गुजारा कर लेंगे. उन्हें बाहर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ऐसे में सवाल एक बार फिर है प्रशासन की हेल्पलाइन और उस कवायद का, जिसका दावा तो हो रहा है. लेकिन उस पर अमल होता हुआ नजर नहीं आता. इन लोगों को भी सरकार की तरफ से होने वाले इंतजामों की जानकारी नहीं थी.

Last Updated : Mar 28, 2020, 6:42 PM IST
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