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किसानों की आंखों में धूल झोंकना बंद करे केंद्र सरकार: रामपाल जाट

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 75 फीसदी उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद से बाहर कर दिया. इससे किसानों की आय घट रही है. वहीं प्रधानमंत्री लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य को चालू रखने की घोषणा कर रहे हैं. किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चल रही वार्ता में लिखित आश्वासन भी नहीं दिया जा रहा है. यह किसानो की आंखों में धूल झोंकने के समान है.

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रामपाल जाट का मोदी सरकार पर हमला
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Published : Dec 20, 2020, 12:07 AM IST

जयपुर. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 75 फीसदी उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद से बाहर कर दिया. इससे किसानों की आय घटने की स्थिति में आ गई. इसके बाद भी प्रधानमंत्री द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य को चालू रखने की निरंतर घोषणा की जा रही है. किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चल रही वार्ता में लिखित आश्वासन भी नहीं दिया जा रहा है. यह किसानो की आंखों में धूल झोंकने के समान है.

रामपाल जाट का मोदी सरकार पर हमला

रामपाल जाट ने कहा कि मूल्य समर्थन नीति के अंतर्गत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की मार्गदर्शिका के कारण सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, तिल, रामतिल, मूंग, उड़द, अरहर, मसूर, चना जैसी तिलहन एवं दलहन की उपजों की कुल उत्पादन में से 75% उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद को बाहर कर दिया. अकेले राजस्थान में चना एवं मूंगफली में 117 करोड़ रुपये के घाटे की सम्भावना बनी हुई है. दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा गणितीय भूल को सुधारने के स्थान पर त्रुटियों की पुनरावृति के कारण किसानों को घाटा हो रहा है.

पढ़ें: पॉलिसी बनाकर होंगे तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले: डोटासरा

उन्होनें आगे कहा कि अभी 18 नवंबर से मूंगफली की खरीद चल रही है. मूंगफली के कुल उत्पादन में से 25% से कम खरीद की मात्रा के निर्धारण के कारण 61,76,92,000 रुपए के संभावित घाटे का आकलन किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा 25% के स्थान पर 20.23% के गलत निर्धारण के कारण ही राज्य में 7,72,115 क्विंटल मूंगफली की खरीद कम होगी. अभी मूंगफली के न्यूनतम समर्थन मूल्य 5575 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि बाजार में प्रचलित मूल्य 4400-4500 रुपये के लगभग हैं. इसके अनुसार 1 क्विंटल पर 800 रुपये का घाटा होगा.

चना खरीद मामले में सरकार से श्वेत पत्र की मांग

रामपाल जाट ने कहा कि चने की खरीद भी 22.93% की गई थी. आश्चर्य जनक तथ्य यह है कि विपणन वर्ष 2021-22 की रबी उपजों की मूल्य नीति में राजस्थान में 24.9% चना खरीद का उल्लेख किया गया है. दूसरी ओर राजस्थान सहित अन्य राज्यों द्वारा 25% से अधिक चना ख़रीद के प्रस्तावो को तो स्वीकार नहीं किया गया, जबकि इसी अवधि में मध्यप्रदेश उपचुनाव जीतने के लिए गोपनीय ढंग से 27.1% चना खरीदा गया है. यह अन्य राज्यों के किसानों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार है. इसे छुपाने के लिए दुराव-छिपाव की नीति अपनाई गई है. भेदभाव जनित ऐसे अन्याय को रोकने के लिए केंद्र सरकार से 'श्वेत पत्र' प्रसारित करने का आग्रह किया गया है.

जाट ने कहा कि चना खरीद संबंधी केंद्र सरकार द्वारा 25% खरीद के लक्ष्य की मात्रा की त्रुटि को सुधारने के लिए किसानों ने महीनों तक सड़कों पर अपने चने भरे हुए हजारों ट्रैक्टरों के साथ आंदोलन किया. उसके कारण राजस्थान राज्य की 6 करोड़ जनता की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा. उसी के अनुसरण में राजस्थान राज्य कृषि एवं सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजी लाल मीणा ने निरंतर केंद्र सरकार से पत्र व्यवहार करते हुए संपर्क साधे रखा था. तब भी केंद्र सरकार ने लिपिकीय भूल नहीं सुधारी बल्कि अब मूंगफली के लक्ष्य की मात्रा का गलत निर्धारण कर दिया.

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार दाने-दाने की खरीद के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की मार्गदर्शिका में तिलहन एवं दलहन के 75% उत्पादों को खरीद की परिधि में लाने के लिए 25% से अधिक खरीद के प्रतिबंध को समाप्त करती, किंतु सरकार तो 25% तक की खरीद को भी रोकने पर तुली हुई है. इस संबंध में केंद्र एवं राज्य के कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री को भेदभाव रहित-पारदर्शी नीति अपनाने के लिए ध्यानाकर्षण के लिए एक माह पूर्व पत्र भेजा गया था. तब भी इस दिशा में अभी तक कोई सार्थक कार्यवाही नहीं हुई. I

जयपुर. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 75 फीसदी उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद से बाहर कर दिया. इससे किसानों की आय घटने की स्थिति में आ गई. इसके बाद भी प्रधानमंत्री द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य को चालू रखने की निरंतर घोषणा की जा रही है. किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चल रही वार्ता में लिखित आश्वासन भी नहीं दिया जा रहा है. यह किसानो की आंखों में धूल झोंकने के समान है.

रामपाल जाट का मोदी सरकार पर हमला

रामपाल जाट ने कहा कि मूल्य समर्थन नीति के अंतर्गत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की मार्गदर्शिका के कारण सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, तिल, रामतिल, मूंग, उड़द, अरहर, मसूर, चना जैसी तिलहन एवं दलहन की उपजों की कुल उत्पादन में से 75% उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद को बाहर कर दिया. अकेले राजस्थान में चना एवं मूंगफली में 117 करोड़ रुपये के घाटे की सम्भावना बनी हुई है. दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा गणितीय भूल को सुधारने के स्थान पर त्रुटियों की पुनरावृति के कारण किसानों को घाटा हो रहा है.

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उन्होनें आगे कहा कि अभी 18 नवंबर से मूंगफली की खरीद चल रही है. मूंगफली के कुल उत्पादन में से 25% से कम खरीद की मात्रा के निर्धारण के कारण 61,76,92,000 रुपए के संभावित घाटे का आकलन किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा 25% के स्थान पर 20.23% के गलत निर्धारण के कारण ही राज्य में 7,72,115 क्विंटल मूंगफली की खरीद कम होगी. अभी मूंगफली के न्यूनतम समर्थन मूल्य 5575 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि बाजार में प्रचलित मूल्य 4400-4500 रुपये के लगभग हैं. इसके अनुसार 1 क्विंटल पर 800 रुपये का घाटा होगा.

चना खरीद मामले में सरकार से श्वेत पत्र की मांग

रामपाल जाट ने कहा कि चने की खरीद भी 22.93% की गई थी. आश्चर्य जनक तथ्य यह है कि विपणन वर्ष 2021-22 की रबी उपजों की मूल्य नीति में राजस्थान में 24.9% चना खरीद का उल्लेख किया गया है. दूसरी ओर राजस्थान सहित अन्य राज्यों द्वारा 25% से अधिक चना ख़रीद के प्रस्तावो को तो स्वीकार नहीं किया गया, जबकि इसी अवधि में मध्यप्रदेश उपचुनाव जीतने के लिए गोपनीय ढंग से 27.1% चना खरीदा गया है. यह अन्य राज्यों के किसानों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार है. इसे छुपाने के लिए दुराव-छिपाव की नीति अपनाई गई है. भेदभाव जनित ऐसे अन्याय को रोकने के लिए केंद्र सरकार से 'श्वेत पत्र' प्रसारित करने का आग्रह किया गया है.

जाट ने कहा कि चना खरीद संबंधी केंद्र सरकार द्वारा 25% खरीद के लक्ष्य की मात्रा की त्रुटि को सुधारने के लिए किसानों ने महीनों तक सड़कों पर अपने चने भरे हुए हजारों ट्रैक्टरों के साथ आंदोलन किया. उसके कारण राजस्थान राज्य की 6 करोड़ जनता की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा. उसी के अनुसरण में राजस्थान राज्य कृषि एवं सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजी लाल मीणा ने निरंतर केंद्र सरकार से पत्र व्यवहार करते हुए संपर्क साधे रखा था. तब भी केंद्र सरकार ने लिपिकीय भूल नहीं सुधारी बल्कि अब मूंगफली के लक्ष्य की मात्रा का गलत निर्धारण कर दिया.

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार दाने-दाने की खरीद के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की मार्गदर्शिका में तिलहन एवं दलहन के 75% उत्पादों को खरीद की परिधि में लाने के लिए 25% से अधिक खरीद के प्रतिबंध को समाप्त करती, किंतु सरकार तो 25% तक की खरीद को भी रोकने पर तुली हुई है. इस संबंध में केंद्र एवं राज्य के कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री को भेदभाव रहित-पारदर्शी नीति अपनाने के लिए ध्यानाकर्षण के लिए एक माह पूर्व पत्र भेजा गया था. तब भी इस दिशा में अभी तक कोई सार्थक कार्यवाही नहीं हुई. I

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