जयपुर. राजस्थान विधानसभा में ध्यानाकर्षण सत्र के दौरान उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राजकीय समारोह में विपक्ष के जीते हुए विधायकों को आमंत्रित नहीं करने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हम जीत कर भी टुकुर-टुकुर देखते रहते हैं और वह हार कर भी राजकीय समारोह की अध्यक्षता करते हैं, यह कहां का न्याय है. उप नेता प्रतिपक्ष की पीड़ा पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक बुलाकर नियम तय करने की बात कही.
विधानसभा सत्र में ध्यानाकर्षण सत्र के दौरान उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने 4 बिंदुओं को लेकर सदन का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें उन्होंने पहला राजकीय समारोह में प्रतिपक्ष के विधायकों को आमंत्रित नहीं करने, दूसरा विधानसभा में विपक्ष की विधायकों की ओर से जो प्रश्न लगाए जाते हैं उनका उत्तर नहीं दिए जाने, तीसरा विपक्षी विधायकों की ओर से अपने विधायको से राशि की स्वीकृति समय पर नहीं मिलने और चौथा कोरोना काल के दौरान विधायकों की ओर से की गई सहायता को प्रचारित नहीं करने का मुद्दा उठाया.
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राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि ऐसी परंपरा बन गई है कि विपक्ष के विधायक को उनके क्षेत्र में होने वाले किसी भी राज्य कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाता है, जबकि उन्हीं से हारे हुए सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को समारोह की अध्यक्षता के लिए आमंत्रित किया जाता है और यह कोई पीड़ा अकेले मेरे विधानसभा क्षेत्र की नहीं है, बल्कि विपक्ष में बैठे हुए सभी विधायकों का है, जहां पर इसी तरह का रवैया अपनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बड़ी पीड़ा होती है जब हारा हुआ प्रत्याशी समारोह की अध्यक्षता करता है और जनता की ओर से चुनाव जनप्रतिनिधि भीड़ में बैठकर टुकुर टुकुर उस कार्यक्रम को देखता है. यहां तक कि उस विधानसभा क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों में शिलान्यास पर उनका नाम तक अंकित नहीं होता. ऐसे में वह अपने आप को अपमानित महसूस करते हैं.
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि हम यह नहीं कहते कि यह परंपरा कांग्रेस सरकार के वक्त है, हो सकता है कि यह हमारी सरकार के वक्त भी इसी तरह की रही हो, लेकिन जो परंपरा गलत है उसे बदलना चाहिए. अन्य राज्यों में भी हमने देखा है कि इसी तरह की परंपराएं अपनाई जाती हैं, जो ठीक नहीं हैं. ध्यान आकर्षण प्रस्ताव पर विधानसभा पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह सही बात है समारोह में स्थानीय विधायक को आमंत्रित किया जाना चाहिए, वह जनता की ओर से चुनाव जनप्रतिनिधि होता है.
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उन्होंने कहा कि जब मैं मंत्री रहा तब मैंने देखा कि कई बार किसी भी तरह का कार्यक्रम होता था और उसमें शिलान्यास पट्टीका जो बनती थी, उसमें संबंधित विभाग के मंत्री, स्थानीय सांसद, स्थानीय विधायक का नाम अंकित किया जाता था, लेकिन अगर उपनेता प्रतिपक्ष इसी तरह का सवाल खड़ा कर रहे हैं, तो उसे गंभीरता से लेना होगा और इसके लिए मुख्य सचिव को बुलाकर एक बैठक आयोजित की जाएगी और उस बैठक में पार्टी के अध्यक्ष, विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष संबंधित विधायक मौजूद रहेंगे और यह तय किया जाएगा कि जो भी नोडल अधिकारी होगा वह इस बात का विशेष ध्यान रखेगा की स्थानीय जनप्रतिनिधि का अपमान नहीं किया जाए.