जयपुर. सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot ) की अध्यक्षता में 7 जुलाई को शाम 5 बजे कैबिनेट (Cabinet) की अहम बैठक सीएम आवास पर होगी. इसके तुरंत बाद मंत्रिपरिषद (Council of Ministers ) की बैठक भी प्रस्तावित है. गहलोत कैबिनेट (Gehlot Cabinet) की बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए जा सकते हैं.
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विधानसभा के मानसून सत्र से पहले हो रही गहलोत कैबिनेट की ये बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. सूत्रों की मानें तो कैबिनेट की बैठक में आगामी विधानसभा सत्र के दौरान रखे जाने वाले बिलों के प्रारुपों का अनुमोदन हो सकता है. बैठक को लेकर कोई अधिकारिक एजेंडा जारी नहीं किया गया है. लेकिन कैबिनेट सूत्रों का कहना है कि इस बैठक के दौरान गहलोत सरकार कई नीतिगत निर्णयों पर मुहर लगा सकती है. विधानसभा के सत्रावसान के लिए विधि एवं संसदीय कार्य विभाग ने फाइल सीएम गहलोत के पास भेज दी है. सीएम की हरी झंडी मिलने के बाद मानसून सत्र शुरू होगा.
विधानसभा सत्र को लेकर यह है कयास
जानकारी के मुताबिक संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि विधानसभा का मानसून सत्र भी 19 जुलाई के आस-पास शुरू हो सकता है. अभी विधानसभा के छठे सत्र के सत्रावसान की फाइल को सीएम अशोक गहलोत की मंजूरी का इंतजार है. मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को राजभवन भेजा जाएगा. जहां राज्यपाल कलराज मिश्र सत्रावसान करेंगे. सत्रावसान के बाद सरकार की ओर से सत्र आहूत करने को लेकर दोबारा फाइल भेजी जाएगी.
कोरोना के कारण समय से पहले हो गया था समाप्त
कोरोना संक्रमण की वजह से बजट सत्र तय अवधि से पहले समाप्त हो गया था. बजट सत्र 10 फरवरी से बुलाया गया था, लेकिन कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से इसे बीच में ही स्थगित करना पड़ा था. विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों का कहना है कि जुलाई के अंतिम या अगस्त के प्रथम सप्ताह में सत्र बुलाया जा सकता है.
सरकार फूंक-फूंक कर रख रही कदम
पिछले दिनों सरकार और राजभवन में सत्र आहूत करने को लेकर हुए टकराव के बाद अब सरकार भी फूंक-फूंक कर कदम रखने लगी है. अमूमन विधानसभा सत्र पूरा होने के साथ ही सत्रावसान की फाइल भेज दी जाती थी. लेकिन सत्र आहूत करने को लेकर राज्यपाल की ओर से देरी किए जाने पर अब सरकार भी सत्रावसान को लेकर सतर्क रहने लगी है. यही कारण है कि सरकार ने फरवरी में हुए बजट सत्र के सत्रावसान की फाइल अब भेजी है. ताकि सरकार में फिर कोई उठापटक हो तो राज्यपाल से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं पड़े.