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पंजाब के बिजली संकट में राजस्थान बनेगा संकटमोचक

पंजाब में बिजली के संकट पर हावी होती सियासत के बीच राजस्थान संकटमोचक की भूमिका में नजर आएगा. राजस्थान पंजाब को 200 मेगावाट और उत्तर प्रदेश को 280 मेगावाट बिजली बैंकिंग के जरिए दे रहा है.

Rajasthan, ऊर्जा विभाग
राजस्थान बनेगा संकटमोचक
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Published : Jul 19, 2021, 7:48 PM IST

Updated : Jul 19, 2021, 8:18 PM IST

जयपुर: अगले सितंबर माह तक पंजाब और उत्तरप्रदेश को बिजली दी जाएगी. इसके बदले दिसंबर से फरवरी के बीच वापस बिजली ली जाएगी. हालांकि इसमें कितना नफा नुकसान होगा यह अलग बात है लेकिन ऊर्जा विभाग को फायदे का सौदा नजर आ रहा है.

ऊर्जा सचिव और डिस्कॉम चेयरमेन दिनेश कुमार ने बताया कि राजस्थान में दिसंबर से फरवरी माह के बीच बिजली की खपत पीक पर रहती है. क्योंकि इस दौरान राजस्थान में रबी सीजन रहता है. डिस्कॉम को एक्सचेंज के जरिए करीब ढाई हजार मेगावाट तक बिजली खरीदना पड़ती है. जिसके लिए खरीद की दर 7 रुपये से लेकर 10 प्रति यूनिट तक रहती है. राजस्थान में गर्मी के दौरान तकरीबन 11000 मेगावाट बिजली की डिमांड रहती है. बरसात में यह करीब 8000 मेगावाट तक रहती है.

पढ़ें: ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला की बड़ी घोषणा, अब किसानों को दिन में भी मिलेगी बिजली

राजस्थान के सभी पावर परचेज एग्रीमेंट शामिल करते हुए 22500 मेगावाट की क्षमता है जबकि इनमें से 12250 मेगावाट ही बिजली मिल पाती है. पीक सीजन में 2 से ढाई हजार मेगावाट तक बिजली खरीदना पड़ती है. साल भर में यदि बिजली खरीद की बात की जाए तो 40 हजार करोड़ रुपये इसके लिए चुकाना पड़ते हैं.

जयपुर: अगले सितंबर माह तक पंजाब और उत्तरप्रदेश को बिजली दी जाएगी. इसके बदले दिसंबर से फरवरी के बीच वापस बिजली ली जाएगी. हालांकि इसमें कितना नफा नुकसान होगा यह अलग बात है लेकिन ऊर्जा विभाग को फायदे का सौदा नजर आ रहा है.

ऊर्जा सचिव और डिस्कॉम चेयरमेन दिनेश कुमार ने बताया कि राजस्थान में दिसंबर से फरवरी माह के बीच बिजली की खपत पीक पर रहती है. क्योंकि इस दौरान राजस्थान में रबी सीजन रहता है. डिस्कॉम को एक्सचेंज के जरिए करीब ढाई हजार मेगावाट तक बिजली खरीदना पड़ती है. जिसके लिए खरीद की दर 7 रुपये से लेकर 10 प्रति यूनिट तक रहती है. राजस्थान में गर्मी के दौरान तकरीबन 11000 मेगावाट बिजली की डिमांड रहती है. बरसात में यह करीब 8000 मेगावाट तक रहती है.

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राजस्थान के सभी पावर परचेज एग्रीमेंट शामिल करते हुए 22500 मेगावाट की क्षमता है जबकि इनमें से 12250 मेगावाट ही बिजली मिल पाती है. पीक सीजन में 2 से ढाई हजार मेगावाट तक बिजली खरीदना पड़ती है. साल भर में यदि बिजली खरीद की बात की जाए तो 40 हजार करोड़ रुपये इसके लिए चुकाना पड़ते हैं.

Last Updated : Jul 19, 2021, 8:18 PM IST
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