जयपुर. राजस्थान में अब सत्ता और राजनीति में दिव्यांगों की ताकत दिखाई देगी. नगरीय निकायों में दिव्यांगजनों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है. दिव्यांग व्यक्ति प्रदेश के निकायों में पार्षद के रूप में मनोनीत किए जाएंगे. जिससे उनका मनोबल भी बढ़ेगा, साथ ही वे राजनीति में सक्रिय होकर अपने जैसों की आवाज बुलंद कर पाएंगे. इस संबंध में राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है कि नगरीय निकायों में दिव्यांगों को सदस्य के रूप में मनोनीत किया जाएगा.
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स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक दीपक नंदी ने विशेष योग्यजन न्यायालय के उपायुक्त को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि दिव्यांगों को सत्ता और राजनीति में समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से स्थानीय निकाय संस्थानों में मनोनीत करने के संबंध में आए प्रस्ताव का परीक्षण करवाया गया था. इसके बाद दिव्यांगों के निकायों में मनोनयन संबंधी प्रावधान करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है, जहां पर दिव्यांग भी मनोनीत पार्षद होंगे. इसके जल्द आदेश जारी करने की तैयारी की जा रही है.
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वहीं, दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने उम्मीद जताते हुए कहा कि जल्द इसके बारे में नियम जारी हो जाए कि कितने दिव्यांग लोगों को नगरीय निकायों में मनोनीत किया जा सकेगा. वर्तमान निर्वाचन प्रणाली के तहत दिव्यांग पार्षदों की संख्या नगण्य है और अगर सरकार प्रत्येक नगरीय निकाय में एक दिव्यांग को मनोनीत करेगी तो निश्चित रूप से निकायों की योजनाओं का बजट दिव्यांगों के हक में भी जाएगा और सत्ता में भागीदारी भी मिल पाएगी.
बता दें कि वर्तमान में नगर निगम में 6, नगर परिषद में 5 और नगर पालिका में 4 सदस्यों को मनोनीत करने का प्रावधान है. वहीं, दिव्यांगों को बतौर पार्षद मनोनीत करने के संबंध में कई बार सीएम को मांग-पत्र भेजे गए थे. यहां तक कि विशेष योग्यजन न्यायालय में भी याचिका दायर की गई थी.