जयपुर. दुष्कर्म के मामलों में देश में एक बार फिर राजस्थान पहले नंबर पर रहा है (Rajasthan No 1 in Rape) और वर्ष 2021 में राजस्थान में दुष्कर्म के इतने प्रकरण दर्ज हुए हैं जितने दो बड़े राज्यों में मिलकर भी दर्ज नहीं हुए. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने साल 2021 के आंकड़े जारी किए हैं. ताजा आंकड़ों में राजस्थान में 6 हजार से ज्यादा दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं. ये संख्या देश के दो बड़े राज्यों एमपी और यूपी से भी कहीं ज्यादा है. साल 2020 में दर्ज हुए दुष्कर्म के प्रकरणों से एक हजार ज्यादा प्रकरण साल 2021 में दर्ज हुए हैं. राजस्थान में लगातार बढ़ते दुष्कर्म के प्रकरण न केवल चिंता का एक बड़ा विषय है बल्कि प्रदेश को पूरे देश में शर्मसार करने का एक बड़ा विषय है.
एमपी, यूपी, बिहार, असम को छोड़ा पीछे: देश भर में 2020 और 2021 में राजस्थान में सबसे अधिक बलात्कार के मामले सामने आए हैं (NCRB data on Rape). राजस्थान ने 2020 और 2021 में क्रमशः 5310 और 6337 बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए. मध्य प्रदेश 2020 और 2021 में बलात्कार के मामलों में कुछ इजाफा हुआ है. दूसरे स्थान पर रहे एमपी में 2020 में 2339 मामले थे जबकि 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 2947 हो गया. राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और असम ऐसे पांच राज्य हैं जहां बलात्कार के सबसे अधिक मामले क्रमशः 2020 और 2021 में दर्ज हुए.
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2021 में 6337 मामले: एनसीआरबी ने जो आंकड़े जारी किए उनसे पता चलता है कि 2021 में राजस्थान से 6,337 बलात्कार के मामले सामने आए, जो ये दर्शाता है कि ये महिलाओं के रहने के लिए सबसे खराब राज्य बन गया है. राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश 2,947 बलात्कार के मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है. इसके बाद 2,845 बलात्कार के मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे और 2,496 मामलों के साथ महाराष्ट्र चौथे स्थान पर है. असम पांचवां राज्य है जहां 1,733 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. देश की राजधानी दिल्ली में वर्ष 2021 में बलात्कार के 1,250 केस दर्ज किए गए हैं (Rajasthan tops NCRB data on Rape).
नंबर एक क्यों?: दरअसल प्रदेश में सरकार ने फ्री एफआईआर रजिस्ट्रेशन की पॉलिसी बना रखी है. जिसके तहत शिकायत लेकर थाने आने वाले हर परिवादी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की जाती है. राजस्थान में 900 से भी ज्यादा पुलिस थाने हैं अगर पुलिस थाने पर परिवादी की एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो परिवादी एसपी के पास जाकर एसपी कार्यालय में केस दर्ज करा सकते हैं.
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ये प्रक्रिया सही तरह से वर्तमान सरकार के कार्यकाल में शुरु की गई. हर केस दर्ज होने की पॉलिसी के कारण ही प्रदेश में दो साल में दर्ज होने वाले अपराध पिछले सालों की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गए हैं. हाल ही में राजस्थान पुलिस ने रिकॉर्ड जारी किए हैं कि इस साल जनवरी से जून तक रेप और छेडछाड़ के जो केस दर्ज कराए गए हैं उनमें 48 प्रतिशत केस झूठे पाए गए हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ऑफ ब्यूरो की ओर से जारी किए गए अपराधों के ताजा आंकड़ों में राजस्थान की मौजूदा स्थिति के चलते गहलोत सरकार एक बार फिर भाजपा के निशाने पर है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में राजस्थान बलात्कार के मामलों में देश में सिरमौर है जिसके चलते भाजपा नेता अब राजस्थान में जंगलराज होने का आरोप लगा रहे हैं.
भाजपा ने बोला हमला- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने एनसीआरबी की ओर से जारी आंकड़ों को लेकर जुबानी हमला बोला है. राठौड़ ने ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश सरकार पर हमला बोला है. राठौड़ ने कहा कि बलात्कार के मामले में राजस्थान देश में सिरमौर बन गया, वहीं महिला हिंसा और अत्याचार के मामले में भी राजस्थान देश में पहले नंबर पर है. राठौड़ ने लिखा साल 2021 में राजस्थान में महिला बलात्कार के 6337 मामले दर्ज हुए, जो देश में सर्वाधिक है और दुर्भाग्यपूर्ण भी है. राठौड़ के अनुसार बलात्कार के इतने अधिक केस देश के 3 बड़े राज्यों में मिलाकर भी दर्ज नहीं हुए जितने अकेले राजस्थान में हुए हैं. राठौड़ ने लिखा प्रदेश में साल 2021 में कुल 6337 बलात्कार के मामले सामने आए जो साल 2020 में बलात्कार के 5310 मामलों के मुकाबले 1027 अधिक है.
महिलाओं और बेटियों के लिए सबसे असुरक्षित प्रदेश बन गया राजस्थान- प्रतिपक्ष के उपनेता ने कहा कि कांग्रेस सरकार के जंगलराज में आज राजस्थान महिलाओं और बेटियों के लिए सबसे असुरक्षित प्रदेश बन गया है. इसका परिणाम है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो में साल 2020 और 2021 में राजस्थान में देश में सर्वाधिक बलात्कार के मामले सामने आए हैं. राठौड़ ने यह भी कहा कि पुलिस के खत्म होते इकबाल और लचर कानून व्यवस्था के चलते गहलोत के जंगलराज में अपराधी बेखौफ होकर महिलाओं के साथ बलात्कार, गैंगरेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा एनसीआरबी के आंकड़े कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश में महिला सुरक्षा के लिए किए गए दावों की पोल खोल रहे हैं.