जयपुर. प्रदेश में एमएमडीआर एक्ट में 2015 में संशोधन के बाद मेजर मिनरल लाइमस्टोन के 16 ब्लॉकों की सफल नीलामी होने से राज्य सरकार को आगामी 50 सालों में करीब एक लाख सात हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त (Revenue from limestone blocks auction) होगा. इस साल माइनर मिनरल के ब्लॉकों के लिए 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं. वैध खनन को बढ़ावा देकर ही अवैध खनन पर कारगर तरीके से रोक लगाई जा सकती है. इसी को ध्यान में रखते हुए खनिज खोज और ब्लॉक्स की भारत सरकार के ई-पोर्टल से पारदर्शी तरीके से ई-नीलामी की जा रही है.
अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि अधिकारियों के दल को उड़ीसा की खनिज नीलामी प्रक्रिया का अध्ययन करने भेजा जाएगा क्योंकि देश में खनिजों की नीलामी और नीलामी से बेहतर राजस्व प्राप्त करने में उड़ीसा अग्रणी प्रदेश है. डॉ. अग्रवाल बुधवार को सचिवालय में माइंस विभाग के अधिकारियों से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से रूब-रू हो रहे थे. उन्होंने बताया कि विभाग इस साल भारत सरकार के ई-पोर्टल के माध्यम से मेजर मिनरल के 8 ब्लॉकों की नीलामी की तैयारी अंतिम चरण में (Auction of mineral blocks) है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि माइनर मिनरल के इस वर्ष शुरुआती तीन माह में ही 569 हेक्टेयर क्षेत्रफल के 81 प्लॉट तैयार कर इनकी नीलामी की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं.
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उन्होंने बताया कि इस साल माइनर मिनरल के प्लाटों की नीलामी का नया रिकॉर्ड स्थापित किया जाएगा. राज्य में गत वित्तीय वर्ष में माइनर मिनरल के रिकॉर्ड 1009 हेक्टेयर क्षेत्रफल के 422 प्लॉटों का सफल ऑक्शन कर 224 करोड़ 28 लाख रुपए का राजस्व संग्रहित किया (Revenue earned from mineral block auctions) गया. इससे पहले 2018-19 में अधिकतम 561 हेक्टेयर क्षेत्रफल के 359 प्लॉटों की सफल नीलामी की 126 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था. राज्य में 1732 करोड़ के आरसीसी-ईआरसीसी ठेके प्रभावशील हैं. वहीं, 68 आरसीसी-ईआरसीसी ठेके नीलामी की प्रक्रिया में हैं.