जयपुर. राजधानी जयपुर में विधानसभा के बाहर 8 मार्च को राजस्थान के सरपंच धरना देते दिखाई देंगे. सरपंच संघ राजस्थान ने बैठक कर यह फैसला लिया है. बताया जा रहा है कि 2 साल से सरकार ने ग्राम पंचायतों में विकास के लिए एक भी पैसा नहीं दिए जाने और इस बजट में कोई भी प्रावधान नहीं किये जाने से सरपंच में नाराजगी है.
राजस्थान सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष भंवरलाल जानू ने बताया कि साल 2019-20 के 5वें फाइनेंस कमीशन के 2964 करोड़ रुपए बाकी चल रहे हैं, वह भी अब तक नहीं दिए गए हैं, तो सेंटर से नरेगा के पैसे भी रोक दिए गए हैं और अभी तक एक भी पैसा पंचायतों में नहीं पहुंचा है. इसके साथ ही छठे वित्त आयोग जिसका गठन पिछले साल मार्च में होना चाहिए था 1 साल से इस आयोग का गठन ही नहीं किया गया है. ऐसे में अगले साल में भी पैसा पंचायतों के लिए अलॉट होना मुश्किल हो गया है.
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से कई बार बात की गई है, हम राहुल गांधी को भी ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन कोई भी रिस्पांस अब तक नहीं मिला है. सरपंच संघ में नाराजगी इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे बजट में ग्राम पंचायत, सरपंच, प्रधान, प्रमुख, वार्ड पंच का नाम लेना तक नहीं सही समझा. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस पंचायत राज की स्थापना कांग्रेस के ही नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने की, इसके बाद राजीव गांधी ने 73वां संशोधन करके पंचायत राज को मजबूती दी थी, अब उनको उसी सरकार के मुख्यमंत्री पंचायत राज संस्थाओं को खत्म करने पर तुले हुए हैं. ऐसे में अब सरपंच संघ राजस्थान ने निर्णय लिया है कि 8 मार्च को विधानसभा का घेराव किया जाएगा और अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा.
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भंवरलाल जानू ने कहा कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी हम धरने से नहीं उठेंगे, क्योंकि बात केवल विकास और पैसे की नहीं है, पंचायतों के अधिकार तक छिन लिए गए हैं और आज सरपंचों को किसी भी श्रेणी में नहीं काउंट किया जा रहा है, यहां तक कि सरपंचों से बात करना तक सरकार उचित नहीं समझ रही है. ऐसे में अब मजबूरन प्रदेश के सरपंच को विधानसभा का घेराव 8 मार्च को करना होगा.