जयपुर. राजस्थान रोडवेज जहां कोविड-19 के दौर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी तो अब रोडवेज के कुछ बड़े अधिकारी राजस्व को चूना भी लगा रहे हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि रोडवेज प्रशासन की ओर से नियमित बसों का संचालन नहीं किया जा रहा है. इसके कारण रोडवेज को यात्री भार के साथ ही राजस्व का भी नुकसान हो रहा है. रोडवेज के सबसे अधिक यात्री भार वाले दिल्ली रूट पर डीलक्स डिपो की ओर से मात्र 7 से 8 बसें भी चलाई जा रही हैं. इससे रोडवेज को आमदनी से अधिक नुकसान हो रहा है.
जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार से अनुमति मिलने के बाद रोडवेज प्रशासन ने बसों का संचालन शुरू किया था. इसके बाद डीलक्स डिपो की ओर से मात्र 7 से 8 बसें दिल्ली रूट पर शुरू की गईं. अब धीरे-धीरे यात्री भार बढ़ने के बाद भी डीलक्स डिपो प्रशासन की ओर से बसों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है.
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बता दें कि इस समय जयपुर से दिल्ली के लिए यात्री भार बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी डीलक्स डिपो की ओर से बस संचालित नहीं की जा रही है. ऐसे में कहीं ना कहीं रोडवेज के अधिकारी राजस्व में घाटे लाने की एक बड़ी कड़ी भी बनते जा रहे हैं. कोविड से पहले की बात की जाए तो करीब रोजाना 23 से 25 डीलक्स की बसे रोडवेज संचालित कर रहा था.
बसें नहीं बढ़ा रहा प्रशासन...
बता दें कि डीलक्स डिपो की वर्तमान में दिल्ली, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर और आगरा रूट पर संचालित हो रही हैं. इनमें से सबसे अधिक यात्री भार दिल्ली रूट पर है. इसके बावजूद प्रशासन बसें नहीं बढ़ा रहा. वर्तमान में डीलक्स बसें 30 पॉइंट 50 रुपए प्रति किलो मीटर से संचालित हो रही हैं, जबकि 60 रुपए प्रति किलो मीटर का खर्चा हो रहा है. रोडवेज प्रशासन कर्मचारियों को बैठाकर वेतन भी दे रहा है. जबकि इन्हें रूट पर चलाना चाहिए, जिससे रोडवेज की आय में बढ़ोतरी भी होगी और अधिकारी भी कार्य कर सकेंगे.