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सरकार बदली, अधिकारी बदले...लेकिन 7 वर्षों से रोडवेज में नहीं हुई DPC, कर्मचारियों को लंबे समय से इंतजार

राजस्थान रोडवेज, जयपुर ही नहीं, प्रदेश के सभी लोगों की लाइफ लाइन कही जाती है. रोडवेज में हजारों तकनीकी ऐसे कर्मचारी हैं, जो राजस्थान रोडवेज को हमेशा फिट रखते हैं, जिससे प्रतिदिन रोडवेज में यात्रा करने वाले 10 लाख से अधिक यात्रियों को बिना रुकावट सेवा मिल सके. लेकिन, रोडवेज के कर्मचारियों का पिछले 7 सालों से प्रमोशन बकाया चल रहा है, जिसके चलते कई लोग तो ऐसे हैं. जिन्होंने जिस पद पर रोडवेज में नौकरी पाई थी, आज भी सालों के बाद उसी पद पर कार्यकत हैं. यह स्थिति राजस्थान रोडवेज के तकनीकी कर्मचारियों की है.

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7 वर्षों से रोडवेज में नहीं हुई DPC
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Published : Mar 14, 2021, 7:20 PM IST

जयपुर. राजस्थान रोडवेज, जयपुर ही नहीं, प्रदेश के सभी लोगों की लाइफ लाइन कही जाती है. रोडवेज में हजारों तकनीकी ऐसे कर्मचारी हैं, जो राजस्थान रोडवेज को हमेशा फिट रखते हैं, जिससे प्रतिदिन रोडवेज में यात्रा करने वाले 10 लाख से अधिक यात्रियों को बिना रुकावट सेवा मिल सके. लेकिन, रोडवेज के कर्मचारियों का पिछले 7 सालों से प्रमोशन बकाया चल रहा है, जिसके चलते कई लोग तो ऐसे हैं. जिन्होंने जिस पद पर रोडवेज में नौकरी पाई थी, आज भी सालों के बाद उसी पद पर कार्यकत हैं. यह स्थिति राजस्थान रोडवेज के तकनीकी कर्मचारियों की है.

7 वर्षों से रोडवेज में नहीं हुई DPC...

रोडवेज में कुल कर्मचारियों का करीब 50% परिचालक है. यह वह व्यक्ति है, जो 24 घंटे रूट पर चलता है और रोडवेज के लिए रुपये कमा कर लाता है, जिससे रोडवेज का खर्चा चलता है. लेकिन, उसके बाद भी यह तबका पिछले 2-3 सालों से अपने प्रमोशन की बाट खा रहा है. डीपीसी नहीं होने की वजह से कई परिचालक तो प्रमोशन के बिना ही रिटायर हो गए हैं.

बता दें कि राजस्थान रोडवेज में करीब 6000 परिचालक कार्यरत है, वहीं राजस्थान रोडवेज में अंतिम बार डीपीसी 2017 और 18 में हुई थी. पिछली दो बार की डीपीसी अभी तक बकाया चल रही है. वर्ष 2018 और 19 इसके साथ ही वर्ष 2019 और 20 की डीपीसी बकाया चल रही है. डीपीसी नहीं होने के चलते परिचालकों को सहायक यातायात निरीक्षक के पद पर पदोन्नत भी नहीं किया गया है. ऐसा नहीं है कि डीपीसी नहीं होने पर केवल कर्मचारियों को ही नुकसान हो रहा है. परिचालकों की डीपीसी नहीं होने से रोडवेज को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. परिचालकों को डीपीसी के बाद सहायक यातायात निरीक्षकों के पद पर पदोन्नत किया जाता है.

पढ़ें: रमेश मीणा के बयान पर CM गहलोत के समर्थन में उतरे विधायक पदमाराम मेघवाल, कहा- नहीं करते हैं SC-ST के विधायकों से भेदभाव

रोडवेज के नियमों के अनुसार, बस की चेकिंग सहायक यातायात निरीक्षक और यातायात निरीक्षक ही कर सकते हैं. प्रमोशन नहीं होने और लंबे समय से सीधी भर्ती नहीं होने के कारण रोडवेज में इन दिनों पदों पर भी कर्मचारी काफी कम रह गए हैं. इस मुद्दे को लेकर लगातार राजस्थान रोडवेज की यूनियनों ने भी प्रबंधन पर भी निशाना साधा है. इस मुद्दे को लेकर राजस्थान रोडवेज के सीएमडी राजेश्वर सिंह का कहना है कि वे जल्द ही राजस्थान रोडवेज के सभी कैडर की ड्यू डीपीसी करवाएंगे. वहीं, जो भी योग्यता रखते हैं, सभी को प्रमोशन भी दिलवाया जाएगा. जिससे राजस्थान रोडवेज की हालत सुधर सकेंगी और राजस्थान रोडवेज में नई भर्तियां भी हो सकेंगी. इसके साथ ही कहा जा सकता है कि रोडवेज को फिट रखने वाले और रोडवेज के लिए कमाई करने वाले कर्मचारी आज अपने हक के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में रोडवेज प्रबंधन की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि इन कर्मचारियों के प्रमोशन करें और उनका हौसला अफजाई करें. क्योंकि, जब इनका हौसला बुलंद होगा, तभी रोडवेज तरक्की की सीढ़ियां चढ़ सकेगा.

जयपुर. राजस्थान रोडवेज, जयपुर ही नहीं, प्रदेश के सभी लोगों की लाइफ लाइन कही जाती है. रोडवेज में हजारों तकनीकी ऐसे कर्मचारी हैं, जो राजस्थान रोडवेज को हमेशा फिट रखते हैं, जिससे प्रतिदिन रोडवेज में यात्रा करने वाले 10 लाख से अधिक यात्रियों को बिना रुकावट सेवा मिल सके. लेकिन, रोडवेज के कर्मचारियों का पिछले 7 सालों से प्रमोशन बकाया चल रहा है, जिसके चलते कई लोग तो ऐसे हैं. जिन्होंने जिस पद पर रोडवेज में नौकरी पाई थी, आज भी सालों के बाद उसी पद पर कार्यकत हैं. यह स्थिति राजस्थान रोडवेज के तकनीकी कर्मचारियों की है.

7 वर्षों से रोडवेज में नहीं हुई DPC...

रोडवेज में कुल कर्मचारियों का करीब 50% परिचालक है. यह वह व्यक्ति है, जो 24 घंटे रूट पर चलता है और रोडवेज के लिए रुपये कमा कर लाता है, जिससे रोडवेज का खर्चा चलता है. लेकिन, उसके बाद भी यह तबका पिछले 2-3 सालों से अपने प्रमोशन की बाट खा रहा है. डीपीसी नहीं होने की वजह से कई परिचालक तो प्रमोशन के बिना ही रिटायर हो गए हैं.

बता दें कि राजस्थान रोडवेज में करीब 6000 परिचालक कार्यरत है, वहीं राजस्थान रोडवेज में अंतिम बार डीपीसी 2017 और 18 में हुई थी. पिछली दो बार की डीपीसी अभी तक बकाया चल रही है. वर्ष 2018 और 19 इसके साथ ही वर्ष 2019 और 20 की डीपीसी बकाया चल रही है. डीपीसी नहीं होने के चलते परिचालकों को सहायक यातायात निरीक्षक के पद पर पदोन्नत भी नहीं किया गया है. ऐसा नहीं है कि डीपीसी नहीं होने पर केवल कर्मचारियों को ही नुकसान हो रहा है. परिचालकों की डीपीसी नहीं होने से रोडवेज को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. परिचालकों को डीपीसी के बाद सहायक यातायात निरीक्षकों के पद पर पदोन्नत किया जाता है.

पढ़ें: रमेश मीणा के बयान पर CM गहलोत के समर्थन में उतरे विधायक पदमाराम मेघवाल, कहा- नहीं करते हैं SC-ST के विधायकों से भेदभाव

रोडवेज के नियमों के अनुसार, बस की चेकिंग सहायक यातायात निरीक्षक और यातायात निरीक्षक ही कर सकते हैं. प्रमोशन नहीं होने और लंबे समय से सीधी भर्ती नहीं होने के कारण रोडवेज में इन दिनों पदों पर भी कर्मचारी काफी कम रह गए हैं. इस मुद्दे को लेकर लगातार राजस्थान रोडवेज की यूनियनों ने भी प्रबंधन पर भी निशाना साधा है. इस मुद्दे को लेकर राजस्थान रोडवेज के सीएमडी राजेश्वर सिंह का कहना है कि वे जल्द ही राजस्थान रोडवेज के सभी कैडर की ड्यू डीपीसी करवाएंगे. वहीं, जो भी योग्यता रखते हैं, सभी को प्रमोशन भी दिलवाया जाएगा. जिससे राजस्थान रोडवेज की हालत सुधर सकेंगी और राजस्थान रोडवेज में नई भर्तियां भी हो सकेंगी. इसके साथ ही कहा जा सकता है कि रोडवेज को फिट रखने वाले और रोडवेज के लिए कमाई करने वाले कर्मचारी आज अपने हक के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में रोडवेज प्रबंधन की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि इन कर्मचारियों के प्रमोशन करें और उनका हौसला अफजाई करें. क्योंकि, जब इनका हौसला बुलंद होगा, तभी रोडवेज तरक्की की सीढ़ियां चढ़ सकेगा.

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