जयपुर. राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) संशोधन विधेयक 2022 परित कर दिया गया. बिल पर चर्चा के दौरान मंत्री राजेन्द्र यादव ने उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ को जवाब देते हुए (Rajendra Yadav Targeted Rajendra Singh Rathore) कहा कि भाजपा जब विपक्ष में होती है तो जनता के हितों की बात करती है और जब सत्ता में होती है तो जनता को भूल जाती है. ऐसे में हम चाहते हैं कि आप हमेशा विपक्ष में रहो, ताकि जनता की सेवा कर सको.
यादव ने कहा कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो आपके पास ईडी जैसा संस्थान भी है, लेकिन उसका उपयोग तो आप वहां करते हो जहां आपकी सरकार को कोई और आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि यह बिल आज के समय की आवश्यकता को देखते हुए (Bill for Prevention of Unfair Means in Rajasthan) लाया गया है. वहीं, इस बिल पर बोलते हुए राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि अब प्रदेश में दो कानून एक ही विषय के होंगे. जिनमें से एक कानून दंत विहीन है.
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इस विधेयक के चलते किसी भी परीक्षा को एक्सक्लूड किया जा सकेगा, जो पहली बार है. वहीं, कटारिया के भावुक होने पर कहा कि आज गुलाबचंद कटारिया का नेता का नहीं, बल्कि एक शिक्षक का चेहरा सामने आया है. आदमी जब दिल से बोलता है तो ऐसा होता है. राठौड़ ने मुख्यमंत्री को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री कह रहे थे रीट परीक्षा (REET Paper Leak Case) मैं रद्द नहीं करना चाहता, लेकिन यह प्रतिपक्ष के 'नालायक' लोग हैं, जिन्होंने ऐसा माहौल बनाया कि मुझे परीक्षा रद्द करनी पड़ रही है.
उप नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि यदि राज्य का मुखिया यह कहे तो इससे ज्यादा दुर्भाग्य क्या हो सकता है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इस विधेयक पर बोलते हुए कहा कि पहले राज्य सरकार किसी परीक्षा को जोड़ना चाहती तो 1992 के एक्ट के जरिए इसमें जोड़ सकती थी. लेकिन अब इस विधेयक के जरिए (Rajasthan Public Examination Amendment Bill 2022 Passe) यह अधिकार दिया जा रहा है कि किसी परीक्षा को इस सूची से बाहर करना हो तो वह भी की जा सकती है. यह बिल कन्फ्यूजन करने वाला होगा.
यूं समझें इस संशोधन को : राजस्थान में सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित संसाधनों के इस्तेमाल को रोकने के लिए अधिनियम 1993 का संशोधन किया गया. पहले के अधिनियम की धारा 8 के तहत सभी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाएं, बोर्ड परीक्षाएं और कॉलेज परीक्षाओं को लेकर जो मापदंड तय थे, उनमें परीक्षाओं की संख्या में इजाफा तो किया जा सकता था, लेकिन सरकार उन्हें कम नहीं कर सकती थी. अब बुधवार को हुए इस संशोधन के बाद राज्य सरकार इन परीक्षाओं की संख्या को कम भी कर सकती है. मतलब यह है कि फिलहाल प्रदेश में होने वाली सभी परीक्षाएं अगर संशय के क्षेत्र में आती हैं तो उनको राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम के तहत अधिनियमित किया जाएगा.