जयपुर. प्रदेश के पंचायतीराज मंत्रालय कर्मचारियों को आंदोलन करना भारी पड़ गया. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने आंदोलन करने पर मंत्रालय कर्मचारियों के एक दिन की वेतन कटौती के आदेश जारी किए हैं. मंत्रालयिक कर्मचारी कह रहे हैं कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री लोकतंत्र की बात करते हैं दूसरी तरफ आंदोलन करने वाले कर्मचारियों को सजा का फरमान जारी कर रहे हैं.
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राजस्थान पंचायतीराज मंत्रालय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष गिरिराज चौधरी ने बताया कि राजस्थान प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के कर्मचारी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में अपनी मांग रखने का पूर्ण अधिकार रखते हैं और उसके साथ-साथ शांतिपूर्ण आंदोलन का भी अधिकार रखते हैं. यहां तक कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भी सदैव कर्मचारियों की मांगों के प्रति सकारात्मक रहे हैं. उनके अनुसार भी मांग करना और शांतिपूर्ण आंदोलन करना प्रत्येक कर्मचारी और नागरिक का लोकतंत्र में पूर्ण अधिकार है.
चौधरी ने कहा कि राजस्थान पंचायतीराज मंत्रालय कर्मचारी संघ (भर्ती 2013) के पदाधिकारियो ने प्रदेशभर में 18 और 19 फरवरी को उपखण्ड अधिकारी और विकास अधिकारियों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया था. जिसमें संपूर्ण राजस्थान में सरपंच संघ द्वारा तालाबंदी के दिन सामूहिक अवकाश लिया जाना भी शामिल था. परंतु हमारा यह शांतिपूर्ण आंदोलन पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों को नागवार गुजरा और उन्होंने एक पत्र जारी कर हमारे विरुद्ध कार्यवाही करने के संकेत दिए हैं.
गिरिराज चौधरी ने कहा कि समय-समय पर कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं. लेकिन विभाग द्वारा कभी भी अपने स्तर पर कर्मचारियों की मांगों को अतार्किक बताते हुए सामूहिक अवकाश के दिन का वेतन काटने के आदेश नहीं दिए गए. चौधरी ने बताया कि अधिकारियों के इस आदेश की राजस्थान के 70 कर्मचारी संगठन निंदा करते हैं.