- IAS अफसरों की कमी से जूझ रहा राजस्थान
- गहलोत सरकार ने केंद्र को भेजे प्रस्ताव
- राजस्थान कैडर के IAS अफसरों के पद बढ़ाने के प्रस्ताव
- फिलहाल, राजस्थान में 313 IAS कैडर स्ट्रेंथ
जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेज कर आईएएस कोटे को बढ़ाने की मांग की है. मुख्य सचिव निरंजन आर्य की अध्यक्षता वाली कमेटी ने कैडर रिव्यू प्रक्रिया संपन्न करने के बाद केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) को कैडर रिव्यू का प्रस्ताव भेज दिया है. उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को जल्द मंजूरी भी मिल जाएगी.
दरअसल, प्रदेश में फिलहाल 313 आईएएस कैडर स्ट्रेंथ है और केंद्र सरकार हर 5 साल में कैडर रिव्यू करती है. ऐसे में डीओपीटी राज्य सरकार के प्रस्ताव को कितनी मंजूरी देता है यह तो वक्त बताएगा. राजस्थान वर्तमान ब्यूरोक्रेसी की कमी से इसलिए भी गुजर रहा है, क्योंकि इस वक्त 20 के करीब अफसर प्रतिनियुक्ति या डेपुटेशन पर राजस्थान से बाहर हैं.
दिल्ली में हैं राजस्थान के ये अफसर
- उषा शर्मा
- नीलकमल दरबारी
- वी श्रवण
- शुभ्रा सिंह
- रोहित कुमार सिंह
- संजय मल्होत्रा
- रजत कुमार मिश्रा
- तन्मय कुमार
- नरेश पाल गंगवार
- रोहली सिंह (हालांकि, राजस्थान सरकार के अधीन डिपार्टमेंट में है)
- राजीव सिंह ठाकुर
- रोहित कुमार
- डॉ. टीना सोनी
- आलोक
- अंबरीश कुमार
- आनंदी
- बिष्णु चरण मल्लिक
- भानु प्रकाश ठाकुर
- रवि कुमार
- अतहर आमीर
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कैडर स्ट्रेंथ से किसे फायदा
मौजूदा साल में कैडर स्ट्रेंथ की प्रक्रिया पूरी होने का सबसे ज्यादा फायदा राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को होगा. क्योंकि, राज्य का कैडर स्ट्रेंथ बढ़ाने से प्रमोशन के अवसर हो जाएंगे. कैडर रिव्यू समय पर किया जाता है तो इसका सीधा फायदा राजस्थान प्रशासनिक सेवा में प्रमोट होने वाले अफसरों को होता है.
वर्तमान में यह है कैडर
राज्य में 313 आईएएस कैडर स्ट्रेंथ है. केंद्र सरकार हर 5 साल में कैडर रिव्यू करती है. साल 2016 में केंद्र ने राजस्थान में आईएएस का कैडर स्ट्रेंथ बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. प्रदेश में आईएएस की संख्या 296 से बढ़ाकर 313 हो गई थी. डीओपीटी के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार 170 IAS राज्य सरकार में ड्यूटी देंगे, जबकि 68 आईएएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात रहेंगे. 42 अफसर राज्य प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे. 5 आईएएस प्रशिक्षण के लिए और 28 छुट्टी के लिए रिजर्व रहेंगे.
आखिर, डेपुटेशन पर क्यों जाते हैं अफसर?
जानकारों की मानें तो सरकार बदलते ही कई अफसर प्रतिनियुक्ति की अनुमति मांगते हैं और जाते भी हैं. ऐसा वे इसलिए करते हैं, जिनका सरकार से तालमेल नहीं बैठता है. ऐसे में पद रिक्त हो जाते हैं और विभाग अतिरिक्त प्रभार से चलते हैं.
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दूसरी वजह कैडर स्ट्रेंथ है. कैडर स्ट्रेंथ के हिसाब से अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाते हैं. राजस्थान कैडर से 12 के करीब अफसर प्रतिनियुक्ति पर हैं और 6 अफसरों ने दिल्ली जाने का आवेदन किया हुआ है. सत्ता बदलने के साथ ही प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के आलाधिकारी भी दिल्ली सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है. गहलोत सरकार बनने के बाद करीब एक दर्जन अफसर केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं.