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राजस्थान हाईकोर्ट ने वन भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए देने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने सवाई माधोपुर में 441 हेक्टेयर वन भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए रीको को देने पर मुख्य सचिव, राजस्व सचिव, वन सचिव और सवाई माधोपुर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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Published : Jan 23, 2021, 6:44 PM IST

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राजस्थान हाईकोर्ट ने वन भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए देने पर मांगा जवाब

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सवाई माधोपुर में 441 हेक्टेयर वन भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए रीको को देने पर मुख्य सचिव, राजस्व सचिव, वन सचिव और सवाई माधोपुर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश बद्रीलाल मीणा व अन्य की याचिका पर दिए.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने जमीन आवंटन को रद्द करने के मामले में स्कूल को दी राहत

याचिका में अधिवक्ता एके जैन ने अदालत को बताया कि सवाई माधोपुर के दुब्बी बिदारख्या की करीब 441 हेक्टर भूमि को वर्ष 1963 से वन क्षेत्र में शामिल है. वन विभाग की ओर से इस भूमि पर करोड़ों रुपए खर्च कर विकास कार्य भी किया गया है. वहीं वर्ष 1996 में इस भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में वन पुनर्भरण के लिए आरक्षित किया गया था.

याचिका में कहा गया कि उद्योगपतियों के दबाव में ओर स्थानीय कलेक्टर ने वन विभाग की आपत्ति को दरकिनार कर इस जमीन को उद्योगों के लिए रीको को आवंटित कर दी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि एक बार जिस भूमि में वन का विकास हो गया हो उसे गैर वानिकी कार्य के लिए आंवटित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सवाई माधोपुर में 441 हेक्टेयर वन भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए रीको को देने पर मुख्य सचिव, राजस्व सचिव, वन सचिव और सवाई माधोपुर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश बद्रीलाल मीणा व अन्य की याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता एके जैन ने अदालत को बताया कि सवाई माधोपुर के दुब्बी बिदारख्या की करीब 441 हेक्टर भूमि को वर्ष 1963 से वन क्षेत्र में शामिल है. वन विभाग की ओर से इस भूमि पर करोड़ों रुपए खर्च कर विकास कार्य भी किया गया है. वहीं वर्ष 1996 में इस भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में वन पुनर्भरण के लिए आरक्षित किया गया था.

याचिका में कहा गया कि उद्योगपतियों के दबाव में ओर स्थानीय कलेक्टर ने वन विभाग की आपत्ति को दरकिनार कर इस जमीन को उद्योगों के लिए रीको को आवंटित कर दी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि एक बार जिस भूमि में वन का विकास हो गया हो उसे गैर वानिकी कार्य के लिए आंवटित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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