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Rajasthan Highcourt Order: एकल पट्टा प्रकरण में प्रोटेस्ट पिटिशन पर सरकारी वकील को सुनकर करें फैसला

एकल पट्टा प्रकरण मामले में राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt Order) ने निर्देश दिया है कि प्रोटेस्ट पिटिशन पर सरकारी वकील को सुनकर ही फैसला किया जाए. इसके साथ ही एसीबी कोर्ट को मामले में नियुक्त विशेष लोक अभियोजक को सुनकर दो माह में फैसला देने को कहा है.

Rajasthan Highcourt Order
राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश
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Published : Feb 17, 2022, 6:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt Order) ने एकल पट्टा प्रकरण से जुड़े मामले में मंत्री शांति धारीवाल और यूडीएच के तत्कालीन उप सचिव एनएल मीणा के खिलाफ पेश प्रोटेस्ट पिटीशन पर एसीबी कोर्ट को मामले में नियुक्त विशेष लोक अभियोजक को सुनकर दो माह में फैसला देने को कहा है. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अपील में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरपी सिंह ने अदालत को बताया कि मामले में एसीबी ने वर्ष 2019 में मंत्री शांति धारीवाल और आईएएस एनएल मीणा को राहत देते हुए एसीबी कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी. परिवादी राम शरण सिंह ने करीब तीन साल बाद गत तीन जनवरी को प्रोटेस्ट पिटीशन दायर कर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी है. वहीं मामले में राज्य सरकार ने गत 15 फरवरी को ही विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है.

पढ़ें. Rajasthan High Court: जनहित के मुद्दों पर अखबार में प्रकाशित खबरों के आधार पर नहीं लिया जा सकता प्रसंज्ञान

विशेष लोक अभियोजक ने एसीबी कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर मामले में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने समय नहीं दिया. ऐसे में एसीबी कोर्ट को निर्देश दिए जाएं कि वह मामले में विशेष लोक अभियोजक को सुनकर आदेश पारित करे. इसपर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने एसीबी कोर्ट के सरकारी वकील को सुनकर दो माह में प्रोटेस्ट पिटिशन तय करने को कहा है.

गौरतलब है कि एसीबी ने वर्ष 2016 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में धांधली की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन दस के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों को आरोपी बनाया गया था. इसके अलावा शांति धारीवाल व अन्य को लेकर जांच लंबित रखी थी.

पढ़ें. Rajasthan High Court: 1862 से चल रहा स्कूल बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण, रेलवे ही तय करे इसका भविष्य

एसीबी ने जून 2019 में शांति धारीवाल और एनएल मीणा को राहत देते हुए उनके पक्ष में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी. इसे परिवादी ने गत जनवरी माह में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर कर चुनौती दी है. वहीं इससे पहले एसीबी ने संधू, ओंकारमल और निष्काम दिवाकर के खिलाफ लंबित मुकदमे को वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था. इस प्रार्थना पत्र को एसीबी कोर्ट ने खारिज कर दिया था. एसीबी कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार व आरोपी अधिकारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt Order) ने एकल पट्टा प्रकरण से जुड़े मामले में मंत्री शांति धारीवाल और यूडीएच के तत्कालीन उप सचिव एनएल मीणा के खिलाफ पेश प्रोटेस्ट पिटीशन पर एसीबी कोर्ट को मामले में नियुक्त विशेष लोक अभियोजक को सुनकर दो माह में फैसला देने को कहा है. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अपील में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरपी सिंह ने अदालत को बताया कि मामले में एसीबी ने वर्ष 2019 में मंत्री शांति धारीवाल और आईएएस एनएल मीणा को राहत देते हुए एसीबी कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी. परिवादी राम शरण सिंह ने करीब तीन साल बाद गत तीन जनवरी को प्रोटेस्ट पिटीशन दायर कर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी है. वहीं मामले में राज्य सरकार ने गत 15 फरवरी को ही विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है.

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विशेष लोक अभियोजक ने एसीबी कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर मामले में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने समय नहीं दिया. ऐसे में एसीबी कोर्ट को निर्देश दिए जाएं कि वह मामले में विशेष लोक अभियोजक को सुनकर आदेश पारित करे. इसपर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने एसीबी कोर्ट के सरकारी वकील को सुनकर दो माह में प्रोटेस्ट पिटिशन तय करने को कहा है.

गौरतलब है कि एसीबी ने वर्ष 2016 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में धांधली की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन दस के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों को आरोपी बनाया गया था. इसके अलावा शांति धारीवाल व अन्य को लेकर जांच लंबित रखी थी.

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एसीबी ने जून 2019 में शांति धारीवाल और एनएल मीणा को राहत देते हुए उनके पक्ष में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी. इसे परिवादी ने गत जनवरी माह में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर कर चुनौती दी है. वहीं इससे पहले एसीबी ने संधू, ओंकारमल और निष्काम दिवाकर के खिलाफ लंबित मुकदमे को वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था. इस प्रार्थना पत्र को एसीबी कोर्ट ने खारिज कर दिया था. एसीबी कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार व आरोपी अधिकारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है.

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