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MBBS Student Scholarship: हाईकोर्ट ने एमबीबीएस छात्र को स्कॉलरशिप नहीं देने पर सचिव को किया तलब

राजस्थान हाईकोर्ट ने एमबीबीएस छात्र को दो साल से स्कॉलरशिप नहीं देने के मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि छात्रवृत्ति जारी करने को लेकर अधिकारियों का इस तरह का रवैया ठीक नहीं (Court commented on not giving scholarship to MBBS student) है. कोर्ट ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव को 16 मई को व्यक्तिशः पेश स्पष्टीकरण देने को कहा है.

Court commented on not giving scholarship to MBBS student
कोर्ट की तस्वीर
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Published : May 11, 2022, 8:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एमबीबीएस छात्र को दो साल से स्कॉलरशिप नहीं देने के मामले में टिप्पणी (Court commented on not giving scholarship to MBBS student) करते हुए कहा कि स्कॉलरशिप जारी करने को लेकर अधिकारियों का इस तरह का रवैया ठीक नहीं है. ऐसे अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन भी ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव को 16 मई को व्यक्तिशः पेश स्पष्टीकरण देने को कहा है. जस्टिस अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश पंकज मीणा की याचिका पर दिया है.

याचिका में अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के एडमिशन फॉर्म में ई मित्र संचालक ने गलती से माता-पिता के नाम की अदला-बदली कर दी थी. वहीं नीट में उत्तीर्ण होने के बाद उसे एमबीबीएस में प्रवेश दे दिया गया, लेकिन स्कॉलरशिप जारी नहीं की गई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता को स्कॉलरशिप देने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं. अदालती आदेश के बाद सत्र 2020-21 की स्कॉलरशिप स्वीकृत कर दी गई है और जल्द ही उसका भुगतान कर दिया जाएगा.

पढ़े:Chicago university scholarship : किसान की 17 वर्षीय बेटी को कामयाबी, शिकागो यूनिवर्सिटी से मिली स्कॉलरशिप

वहीं अदालत के सामने आया कि सत्र 2021-22 में याचिकाकर्ता ने अपनी अंकतालिका को लेकर आपत्तियों को दूर कर दिया है, लेकिन अभी संबंधित कॉलेज ने उसे वेरीफाई नहीं किया है. कॉलेज की ओर से जानकारी भेजने के बाद याचिकाकर्ता को स्कॉलरशिप जारी कर दी जाएगी. इस पर अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को अभी तक सत्र 2020-21 की स्कॉलरशिप ही नहीं मिली है. ऐसे में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव हाजिर होकर अपना स्पष्टीकरण पेश करें.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एमबीबीएस छात्र को दो साल से स्कॉलरशिप नहीं देने के मामले में टिप्पणी (Court commented on not giving scholarship to MBBS student) करते हुए कहा कि स्कॉलरशिप जारी करने को लेकर अधिकारियों का इस तरह का रवैया ठीक नहीं है. ऐसे अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन भी ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव को 16 मई को व्यक्तिशः पेश स्पष्टीकरण देने को कहा है. जस्टिस अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश पंकज मीणा की याचिका पर दिया है.

याचिका में अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के एडमिशन फॉर्म में ई मित्र संचालक ने गलती से माता-पिता के नाम की अदला-बदली कर दी थी. वहीं नीट में उत्तीर्ण होने के बाद उसे एमबीबीएस में प्रवेश दे दिया गया, लेकिन स्कॉलरशिप जारी नहीं की गई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता को स्कॉलरशिप देने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं. अदालती आदेश के बाद सत्र 2020-21 की स्कॉलरशिप स्वीकृत कर दी गई है और जल्द ही उसका भुगतान कर दिया जाएगा.

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वहीं अदालत के सामने आया कि सत्र 2021-22 में याचिकाकर्ता ने अपनी अंकतालिका को लेकर आपत्तियों को दूर कर दिया है, लेकिन अभी संबंधित कॉलेज ने उसे वेरीफाई नहीं किया है. कॉलेज की ओर से जानकारी भेजने के बाद याचिकाकर्ता को स्कॉलरशिप जारी कर दी जाएगी. इस पर अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को अभी तक सत्र 2020-21 की स्कॉलरशिप ही नहीं मिली है. ऐसे में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव हाजिर होकर अपना स्पष्टीकरण पेश करें.

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