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हाईकोर्ट ने जलस्त्रोतों पर हुए अतिक्रमण को लेकर राज्य सरकार से मांगी विस्तृत जानकारी

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Published : Nov 5, 2019, 11:29 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने जलस्त्रोतों पर हुए अतिक्रमणों को लेकर राज्य सरकार से रेफरेंस की पूरी जानकारी मांगी है. कोर्ट ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

rajasthan high court, जयपुर न्यूज, बांध में अतिक्रमण, encroachment

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बांध में अतिक्रमण को लेकर राज्य सरकार को कहा है कि वह राजस्व मंडल में भेजे गए रेफरेंस की विस्तृत जानकारी पेश करे. वहीं अदालत ने सुनवाई से एक दिन पूर्व मिट्टी के सैंपल के लिए एमएनआईटी को पत्र लिखने पर भी नाराजगी जताई है.

rajasthan high court, जयपुर न्यूज, बांध में अतिक्रमण, encroachment
हाईकोर्ट ने बांध में अतिक्रमण पर राज्य सरकार से मांगी जानकारी

बता दें कि अदालत ने इस मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को तय करते हुए राज्य सरकार को अतिक्रमणों को लेकर विस्तृत जानकारी देने को कहा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. इस सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों वीरेन्द्र डांगी और अशोक भार्गव की ओर से रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट में बताया गया कि रामगढ़ बांध के केचमेंट एरिया से पूर्व अतिक्रमण नहीं हटाए गए हैं.

यह भी पढ़ें. सरकार की ओर से दी गई छूट के आखिरी 2 महीने शेष, बड़े बकायेदारों पर रहेगा निगम का फोकस, टैक्स नहीं देने पर संपत्ति होगी कुर्क

वहीं बाणगंगा, माधोबेणी और ताला नदी में अतिक्रमण हैं. जमवारामगढ़ के गैर मुमकिन नाले में निर्माण हो गए हैं. दूसरी ओर रामगढ़ के पास रोड़ा नदी में सड़क बनाकर पानी के आवक को रोक दिया गया है. इसके साथ ही अतिक्रमण हटाने के बाद मलबा नहीं हटाया गया. साथ ही अचरोल में अतिक्रमण कर रिसोर्ट बन गए हैं. राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि प्रदेश में जलस्त्रोतों पर हुए अतिक्रमणों को लेकर 15 हजार 355 रेफरेंस राजस्व मंडल में भेजे गए थे. इसमें से 5620 रेफरेंस लंबित हैं.

यह भी पढ़ें. स्पेशल रिपोर्ट: जैविक खेती किसानों और स्वास्थ्य के लिए वरदान... मिलिए झालावाड़ के प्रभु लाल साहू से

इस पर कमेटी ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि सरकार ने जिले वार और जल स्त्रोतों के आधार पर इसकी जानकारी पेश नहीं की है. सुनवाई के दौरान सिंचाई विभाग की ओर से कहा गया कि नेवटा और गूलर बांध में 27 स्थानों पर भारी संख्या में अतिक्रमण हो गया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बांध में अतिक्रमण को लेकर राज्य सरकार को कहा है कि वह राजस्व मंडल में भेजे गए रेफरेंस की विस्तृत जानकारी पेश करे. वहीं अदालत ने सुनवाई से एक दिन पूर्व मिट्टी के सैंपल के लिए एमएनआईटी को पत्र लिखने पर भी नाराजगी जताई है.

rajasthan high court, जयपुर न्यूज, बांध में अतिक्रमण, encroachment
हाईकोर्ट ने बांध में अतिक्रमण पर राज्य सरकार से मांगी जानकारी

बता दें कि अदालत ने इस मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को तय करते हुए राज्य सरकार को अतिक्रमणों को लेकर विस्तृत जानकारी देने को कहा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. इस सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों वीरेन्द्र डांगी और अशोक भार्गव की ओर से रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट में बताया गया कि रामगढ़ बांध के केचमेंट एरिया से पूर्व अतिक्रमण नहीं हटाए गए हैं.

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वहीं बाणगंगा, माधोबेणी और ताला नदी में अतिक्रमण हैं. जमवारामगढ़ के गैर मुमकिन नाले में निर्माण हो गए हैं. दूसरी ओर रामगढ़ के पास रोड़ा नदी में सड़क बनाकर पानी के आवक को रोक दिया गया है. इसके साथ ही अतिक्रमण हटाने के बाद मलबा नहीं हटाया गया. साथ ही अचरोल में अतिक्रमण कर रिसोर्ट बन गए हैं. राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि प्रदेश में जलस्त्रोतों पर हुए अतिक्रमणों को लेकर 15 हजार 355 रेफरेंस राजस्व मंडल में भेजे गए थे. इसमें से 5620 रेफरेंस लंबित हैं.

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इस पर कमेटी ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि सरकार ने जिले वार और जल स्त्रोतों के आधार पर इसकी जानकारी पेश नहीं की है. सुनवाई के दौरान सिंचाई विभाग की ओर से कहा गया कि नेवटा और गूलर बांध में 27 स्थानों पर भारी संख्या में अतिक्रमण हो गया है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह राजस्व मंडल में भेजे गए रेफरेंस की विस्तृत जानकारी पेश करे। वहीं अदालत ने सुनवाई से एक दिन पूर्व मिट्टी के सेंपल के लिए एमएनआईटी को पत्र लिखने पर भी नाराजगी जताई है। अदालत ने मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को तय करते हुए राज्य सरकार को अतिक्रमणों को लेकर विस्तृत जानकारी देने को कहा है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्रसिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों वीरेन्द्र डांगी और अशोक भार्गव की ओर से रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि रामगढ़ बांध के केचमेंट एरिया से पूर्व अतिक्रमण नहीं हटाए गए हैं। बाणगंगा, माधोबेणी और ताला नदी में अतिक्रमण हैं। वहीं जमवारामगढ़ के गैर मुमकिन नाले में निर्माण हो गए हैं। दूसरी ओर रामगढ के पास रोडा नदी में सडक़ बनाकर पानी के आवक को रोक दिया गया है। इसके साथ ही अतिक्रमण हटाने के बाद मलबा नहीं हटाया गया। वहीं अचरोल में अतिक्रमण कर रिसोर्ट बन गए हैं। वहीं राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि प्रदेश में जल स्त्रोतों पर हुए अतिक्रमणों को लेकर 15 हजार 355 रेफरेंस राजस्व मंडल में भेजे गए थे। इसमें से 5620 रेफरेंस लंबित हैं। इस पर कमेटी ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि सरकार ने जिलेवार और जल स्त्रोतों के आधार पर इसकी जानकारी पेश नहीं की है। सुनवाई के दौरान सिंचाई विभाग की ओर से कहा गया कि नेवटा और गूलर बांध में 27 स्थानों पर भारी संख्या में अतिक्रमण हो गया है।Conclusion:
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