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कृषि उपज व्यापार अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, रामपाल ने दायर की थी PIL

राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश, 2020 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब-तलब किया है. खंडपीठ ने यह आदेश रामपाल जाट की पीआईएल पर दिए.

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कृषि उपज व्यापार अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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Published : Sep 4, 2020, 7:25 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश, 2020 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश रामपाल जाट की पीआईएल पर दिए.

कृषि उपज व्यापार अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने गत 5 जून को कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश पारित किया है, जिसमें किसानों के नाम पर व्यापारियों को लाभ देने के प्रावधान किए गए हैं. अध्यादेश के तहत खरीदी गई कृषि उपज को देश में कहीं भी बेचने की छूट रहेगी और उस पर कोई शुल्क और टैक्स भी नहीं लगेगा.

यह भी पढ़ेंः HC ने कोरोना काल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की ओर से पूरी फीस वसूलने पर मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ने उपज के भंडारण की सीमा को भी समाप्त कर दिया है, जिसके चलते कृषि उपज के व्यापार पूंजीपतियों के एकाधिकार हो जाएगा. इस अध्यादेश से उपज मंडियों में व्यापार प्रभावित होगा और किसानों को उनकी उपज के कम दाम मिलेंगे.

याचिका में यह भी कहा गया कि संविधान के प्रावधानों के तहत कृषि, बाजार और बाजार फीस पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को न होकर राज्य सरकार को मिला हुआ है. इसके अलावा इस अध्यादेश से राज्य सरकार को राजस्व की हानि भी होगी, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश, 2020 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश रामपाल जाट की पीआईएल पर दिए.

कृषि उपज व्यापार अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने गत 5 जून को कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश पारित किया है, जिसमें किसानों के नाम पर व्यापारियों को लाभ देने के प्रावधान किए गए हैं. अध्यादेश के तहत खरीदी गई कृषि उपज को देश में कहीं भी बेचने की छूट रहेगी और उस पर कोई शुल्क और टैक्स भी नहीं लगेगा.

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याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ने उपज के भंडारण की सीमा को भी समाप्त कर दिया है, जिसके चलते कृषि उपज के व्यापार पूंजीपतियों के एकाधिकार हो जाएगा. इस अध्यादेश से उपज मंडियों में व्यापार प्रभावित होगा और किसानों को उनकी उपज के कम दाम मिलेंगे.

याचिका में यह भी कहा गया कि संविधान के प्रावधानों के तहत कृषि, बाजार और बाजार फीस पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को न होकर राज्य सरकार को मिला हुआ है. इसके अलावा इस अध्यादेश से राज्य सरकार को राजस्व की हानि भी होगी, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

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