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वकीलों की सुरक्षा और मानदेय के लिए क्या कर रही है सरकार : हाईकोर्ट

जस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार, मुख्य सचिव, विधि विभाग और बार काउंसिल ऑफ राजस्थान को नोटिस जारी कर पूछा है कि वकीलों की सुरक्षा और नए वकीलों को मानदेय देने के संबंध में क्या किया जा रहा है.

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वकीलों की सुरक्षा और मानदेय को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
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Published : Dec 18, 2020, 7:33 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार, मुख्य सचिव, विधि विभाग और बार काउंसिल ऑफ राजस्थान को नोटिस जारी कर पूछा है कि वकीलों की सुरक्षा और नए वकीलों को मानदेय देने के संबंध में क्या किया जा रहा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव प्रहलाद शर्मा की जनहित याचिका पर दिए.

वकीलों की सुरक्षा और मानदेय को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि प्रदेश में आए दिन अधिवक्ताओं पर हमले हो रहे हैं. बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ने अधिवक्ता प्रोटेक्टशन बिल बनाकर भी राज्य सरकार को भेज रखा है. इसके बावजूद उसे अभी तक सदन में नहीं रखा गया है. वहीं नए वकीलों की आय का कोई साधन नहीं होता है. इसलिए अधिकतम तीन साल का अनुभव रखने वाले वकीलों को मासिक मानदेय दिया जाना चाहिए.

पढ़ें- वर्तमान सत्र की फीस स्कूल और अभिभावक तय करें : HC

याचिका में यह भी कहा गया कि अधिवक्ता कल्याण कोष में राज्य सरकार ने अपनी तरफ से कोई सहायता नहीं दी है, जबकि कोरोना संक्रमण के चलते वकीलों की आर्थिक स्थिति खराब है. बीसीआर ने भी राज्य सरकार को पत्र लिखकर सौ करोड़ रुपए की मांग कर रखी है. बीसीआर की इस मांग पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ है, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार, मुख्य सचिव, विधि विभाग और बार काउंसिल ऑफ राजस्थान को नोटिस जारी कर पूछा है कि वकीलों की सुरक्षा और नए वकीलों को मानदेय देने के संबंध में क्या किया जा रहा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव प्रहलाद शर्मा की जनहित याचिका पर दिए.

वकीलों की सुरक्षा और मानदेय को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि प्रदेश में आए दिन अधिवक्ताओं पर हमले हो रहे हैं. बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ने अधिवक्ता प्रोटेक्टशन बिल बनाकर भी राज्य सरकार को भेज रखा है. इसके बावजूद उसे अभी तक सदन में नहीं रखा गया है. वहीं नए वकीलों की आय का कोई साधन नहीं होता है. इसलिए अधिकतम तीन साल का अनुभव रखने वाले वकीलों को मासिक मानदेय दिया जाना चाहिए.

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याचिका में यह भी कहा गया कि अधिवक्ता कल्याण कोष में राज्य सरकार ने अपनी तरफ से कोई सहायता नहीं दी है, जबकि कोरोना संक्रमण के चलते वकीलों की आर्थिक स्थिति खराब है. बीसीआर ने भी राज्य सरकार को पत्र लिखकर सौ करोड़ रुपए की मांग कर रखी है. बीसीआर की इस मांग पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ है, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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