जयपुर. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश घनश्याम मीणा की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता मिर्जा फैसल बेग ने अदालत को बताया कि विभाग ने 10 अक्टूबर 2019 को डीपीसी आयोजित कर याचिकाकर्ता को उपाधीक्षक पद पर पदोन्नत किया.
वहीं याचिकाकर्ता को छह सप्ताह का अनिवार्य प्रशिक्षण देकर कोटा में पदस्थापित कर दिया. याचिका में कहा गया कि पदोन्नति के करीब डेढ़ साल बाद विभाग ने गत 25 मार्च को रिव्यु डीपीसी कर याचिकाकर्ता को निरीक्षक पद पर पदावनत कर एक अन्य राजेन्द्र कुमार मीणा को उसके स्थान पर पदोन्नत कर दिया.
पढ़ें- शादी में ज्यादा समय लगने पर एक लाख का जुर्माना, गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना
याचिका में कहा गया कि विभाग की ओर से पदावनत करने की कार्रवाई के दौरान ना तो याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया और ना ही उसका पक्ष सुना गया. ऐसे में पदावनत आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.