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पलायन कर रहे लोगों के कल्याण के लिए क्या कर रही है सरकार : हाईकोर्ट

राजस्थान हाई कोर्ट ने पलायन कर रहे लोगों के लिए सरकार की ओर से की जा रही व्यवस्थाओं को लेकर सवाल पुछा है. न्यायाधीशों की खंडपीठ ने यह आदेश जेम्स बेदी की ओर से भेजे गए पत्र को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए दिए.

Rajasthan High Court, राजस्थान हाई कोर्ट की खबर
पलायन करने वालों के लिए व्यवस्थाओं पर सरकार से मांगा जवाब
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Published : Mar 31, 2020, 7:38 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 7 अप्रैल तक शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि, लॉकडाउन के चलते शहर से पलायन कर रहे लोगों को आवास और भोजन आदि उपलब्ध कराने के लिए क्या व्यवस्था की गई है.

न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश जेम्स बेदी की ओर से भेजे गए पत्र को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि सरकार की ओर से इनके रहने खाने और परिवहन को लेकर सरकारी इंतजाम की खबरें आ रही हैं, लेकिन प्रवासी मजदूर डर के साये में है.

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पत्र में कहा गया कि लॉकडाउन के बाद खासतौर पर मजदूर लोगों के पास रोजगार समाप्त हो गया है. जिससे उनके पास भोजन और आवास की समस्या भी पैदा हो गई है. इसलिए शहर से बड़ी संख्या में लोग दूसरे जिलों और राज्य में जा रहे हैं. इन लोगों को किसी तरह के परिवहन सुविधा नहीं कराई गई है. यहां तक की कई लोग गुजरात से पैदल आ रहे हैं.

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वहीं पत्र में कहा गया है कि एक व्यक्ति अपनी पत्नी को कंधे पर बैठाकर 275 किलोमीटर दूर घर जाने के लिए निकला है. इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से न तो इनके भोजन पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है और ना ही परिवहन सुविधा और आवास उपलब्ध कराए गए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य संबंध में की गई कार्रवाई करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 7 अप्रैल तक शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि, लॉकडाउन के चलते शहर से पलायन कर रहे लोगों को आवास और भोजन आदि उपलब्ध कराने के लिए क्या व्यवस्था की गई है.

न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश जेम्स बेदी की ओर से भेजे गए पत्र को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि सरकार की ओर से इनके रहने खाने और परिवहन को लेकर सरकारी इंतजाम की खबरें आ रही हैं, लेकिन प्रवासी मजदूर डर के साये में है.

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पत्र में कहा गया कि लॉकडाउन के बाद खासतौर पर मजदूर लोगों के पास रोजगार समाप्त हो गया है. जिससे उनके पास भोजन और आवास की समस्या भी पैदा हो गई है. इसलिए शहर से बड़ी संख्या में लोग दूसरे जिलों और राज्य में जा रहे हैं. इन लोगों को किसी तरह के परिवहन सुविधा नहीं कराई गई है. यहां तक की कई लोग गुजरात से पैदल आ रहे हैं.

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वहीं पत्र में कहा गया है कि एक व्यक्ति अपनी पत्नी को कंधे पर बैठाकर 275 किलोमीटर दूर घर जाने के लिए निकला है. इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से न तो इनके भोजन पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है और ना ही परिवहन सुविधा और आवास उपलब्ध कराए गए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य संबंध में की गई कार्रवाई करने को कहा है.

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