जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एकलपीठ का आदेश रद्द करते हुए कहा है कि राजस्थान स्टाम्प अधिनियम, 1998 के तहत प्रदेश में हुए संपत्ति हस्तांतरण पर ही स्टांप ड्यूटी ली जा सकती है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लिमिटेड की याचिका पर दिए.
खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि किसी दूसरे प्रदेश में हुए समझौता पत्र में दर्ज संपूर्ण राशि या संपत्ति पर स्टांप ड्यूटी की मांग नहीं की जा सकती है. अदालत ने एडीएम स्टांप, जयपुर को नए सिरे से जयपुर स्थित संपत्तियों के मूल्यानुसार स्टांप ड्यूटी तय करने के आदेश दिए हैं. अपीलार्थी कंपनी की ओर से अधिवक्ता अनुरूप सिंघी ने बताया कि अपीलार्थी कंपनी और सनविजऩ इंजीनियरिंग कंपनी के बीच समझौता हुआ था. इसके तहत सनविजन इंजीनियरिंग कंपनी की रामनगरिया, जयपुर में स्थित 14 भूखंडों को अपीलार्थी कंपनी के नाम दर्ज किया जाना था. इसके लिए कंपनी ने जयपुर विकास प्राधिकरण में आवेदन किया.
इस पर विकास प्राधिकरण ने शेयर सहित संपूर्ण दस्तावेज पर स्टांप ड्यूटी का आंकलन कर लिया और कंपनी से 25 करोड़ रुपए की स्टांप ड्यूटी मांग ली. इसके खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने खारिज कर दिया. इसके खिलाफ दायर अपील में कहा गया कि दोनों कंपनियों के समझौता के आधार पर शेयरों के हस्तांतरण राजस्थान में नहीं हुआ है. दोनों कंपनियां राजस्थान से बाहर की हैं. ऐसे में उन पर समझौते पत्र की कुल संपतियों पर स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती है. कंपनी केवल राजस्थान राज्य में स्थित संपत्तियों के बाजार मूल्य पर स्टांप शुल्क के भुगतान के लिए उत्तरदायी है.