जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लि. के राजनेट प्रोजेक्ट में हुए वित्तीय (financial irregularities in Rajnet project ) अनियमिता की जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 17 ए के तहत 60 दिन में फैसला करने को कहा है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की रिव्यू याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि राजकॉम्प ने वर्ष 2017 में वाईफाई पॉइंट लगाने और उसके लिए आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए 240 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया था. ठेके के तहत फर्म को 19 हजार 500 वाईफाई पांइट लगाने थे. वहीं बिना काम किए केवल बेचने वाले के गोदाम में माल आने के आधार पर फर्म को 60 फीसदी राशि का भुगतान कर दिया गया. वहीं सिर्फ 1750 पॉइंट ही लगाए गए और इसमें से 1632 ही काम कर रहे हैं. एसीबी ने धारा 17 ए के तहत जांच के लिए सरकार से स्वीकृति मांगी, लेकिन सरकार ने उस पर कोई निर्णय नहीं लिया. हाईकोर्ट ने भी पूर्व में याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि जांच की स्वीकृति का इंतजार करना उचित रहेगा. रिव्यु में कहा गया कि धारा 17 ए के तहत जांच के लिए 90 दिन में निर्णय लेना जरूरी है. इसे विशेष कारण होने पर तीस दिन और बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में इस संबंध में निर्देश दिए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने जांच की स्वीकृति पर 60 दिन में फैसला करने को कहा है.
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