जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर के वैशाली नगर इलाके में 26 अगस्त 2021 को हुए एनएचएआई की कंसल्टेंट फर्म के एडवाइजर इंजीनियर राजिंदर कुमार चावला की हत्या के आरोपी करणदीप श्योराण की जमानत याचिका को खारिज कर दिया (High Court rejects bail plea of accused of murder of consultant) है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश दिए.
अदालत ने कहा कि अनुसंधान अधिकारी ने मृतक कंसल्टेंट और आरोपी याचिकाकर्ता के बीच हुए संवाद के दस्तावेज एकत्रित किए हैं और इनसे साबित होता है कि मृतक आरोपी की कंपनी के कामकाज से संतुष्ट नहीं था और ब्रिज के डिजाइन बदलने के लिए तैयार नहीं था. इसलिए आरोपी ने आपराधिक षड्यंत्र के तहत हत्या के लिए शूटर्स को सुपारी दी थी और उन्हें पिस्टल मुहैया कराई थी. अनुसंधान अधिकारी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं और वे आरोपी याचिकाकर्ता सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ हैं.
ऐसे में इन तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती. मामले में श्योराण की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने पैरवी करते हुए कहा कि प्रार्थी का हत्या का कोई उद्देश्य नहीं था और उसे मामले में झूठा फंसाया है. प्रार्थी 3 सितंबर 2021 से जेल में बंद है और मामले में चालान पेश हो चुका है.
एफएसएल रिपोर्ट से भी यह साबित होता है कि अन्य आरोपियों से बरामद की गई पिस्टल का उपयोग घटना के दौरान नहीं हुआ है. इसके विरोध में एएजी घनश्याम सिंह राठौड़ ने कहा कि आरोपी प्रार्थी मैसर्स ई-5 इन्फ्रास्ट्रक्चर का एमडी था और उसे ही ब्रिज बनाने का कांन्ट्रेक्ट मिला था. साथ ही मृतक चावला यूआरएस स्कॉट विल्सन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में इंजीनियर था. आरोपी प्रार्थी ब्रिज की डिजाइन को बदलना चाहता था और इंजीनियर चावला ने ऐसा करने से मना कर दिया था.
वहीं, अनुसंधान के दौरान लिए सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल्स व संबंधित दस्तावेजों से यह स्पष्ट है कि आरोपी ने ही अन्य लोगों के साथ मिलकर गुड़गांव ऑफिस में कंसल्टेंट की हत्या की साजिश रची थी. इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.