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कोरोना संक्रमण के दौरान प्रतियोगी परीक्षाएं स्थगित करने से HC का इनकार - राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षा

राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के दौरान आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित करने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया है.

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प्रतियोगी परीक्षाएं स्थगित करने से हाई कोर्ट ने किया इनकार
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Published : Dec 2, 2020, 5:07 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के दौरान आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित करने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रखर जैन और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए हैं.

याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर प्रदेश में आ चुकी है. इसके चलते प्रदेश में रोजाना तीन हजार से अधिक संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. वहीं संक्रमण रोकने के लिए सरकार ने प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाने के साथ ही धारा 144 भी लगाई गई है. इसके कारण लोगों का आवागमन कम हो और संक्रमण नहीं फैले. वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार दिसंबर माह में प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित कर प्रदेश में लोगों की आवाजाही बढ़ा रही है.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में गुरुवार को किसान संगठन करेंगे प्रदेशव्यापी चक्का जाम

लाखों लोगों के परीक्षाओं में शामिल होने के चलते प्रदेश में आंतरिक आवागमन बढ़ेगा और संक्रमण फैलने की आशंका भी रहेगी. इस संबंध में मुख्यमंत्री को भी अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. याचिका में गुहार लगाई है कि जनवरी 2021 तक प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन स्थगित किया जाए.

नियुक्ति नहीं देने पर नोटिस जारी...

राजस्थान हाईकोर्ट ने टीएसपी एरिया के लिए आयोजित नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018 की मेरिट में आने के बावजूद अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव और अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कृतेश अहारी की याचिका पर दिए हैं.

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याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में टीएसपी क्षेत्र के लिए नर्स ग्रेड द्वितीय के पदों पर भर्ती निकाली थी. याचिकाकर्ता का भर्ती की आरक्षित लिस्ट में नाम था. इसके बावजूद विभाग ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के बदले उससे कम अंक वाले दूसरे अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी.

याचिकाकर्ता की ओर से विभाग में इस संबंध में आपत्ति भी पेश की गई, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. याचिका में गुहार की गई है कि उससे कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई है. ऐसे में याचिकाकर्ता को भी नियुक्ति दी जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

अवमानना नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया...

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद तृतीय श्रेणी शिक्षक की वेतन विसंगति दूर नहीं करने पर प्रमुख कार्मिक सचिव रोली सिंह, माध्यमिक शिक्षा सचिव मंजू राजपाल और प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठठ ने यह आदेश प्रकाश चंद चंदोलिया की अवमानना याचिका पर दिए हैं.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2006 में तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्त हुआ है. राज्य सरकार ने उसका वेतन फिक्स करते समय 12 हजार 900 रुपए के बजाए 11 हजार 170 तय कर दिए है, जिसके चलते उसे आर्थिक रूप से घाटा उठाना पड़ रहा है. इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर अदालत ने गत वर्ष 21 मई को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता की वेतन विसंगतियों को दूर करने के आदेश दिए थे.

यह भी पढ़ें- बाल संप्रेषण गृह वायरल VIDEO: बाल अपचारियों ने जमकर की शराब पार्टी, बोले- यहां सब कुछ मिलता है

इसके बावजूद भी अदालती आदेश की पालना में याचिकाकर्ता की वेतन विसंगति दूर नहीं की गई है. याचिका में गुहार की गई कि अदालती आदेश की पालना की जाए और दोषी अफसरों को अदालती आदेश की अवमानना करने पर दंडित किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के दौरान आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित करने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रखर जैन और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए हैं.

याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर प्रदेश में आ चुकी है. इसके चलते प्रदेश में रोजाना तीन हजार से अधिक संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. वहीं संक्रमण रोकने के लिए सरकार ने प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाने के साथ ही धारा 144 भी लगाई गई है. इसके कारण लोगों का आवागमन कम हो और संक्रमण नहीं फैले. वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार दिसंबर माह में प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित कर प्रदेश में लोगों की आवाजाही बढ़ा रही है.

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लाखों लोगों के परीक्षाओं में शामिल होने के चलते प्रदेश में आंतरिक आवागमन बढ़ेगा और संक्रमण फैलने की आशंका भी रहेगी. इस संबंध में मुख्यमंत्री को भी अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. याचिका में गुहार लगाई है कि जनवरी 2021 तक प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन स्थगित किया जाए.

नियुक्ति नहीं देने पर नोटिस जारी...

राजस्थान हाईकोर्ट ने टीएसपी एरिया के लिए आयोजित नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018 की मेरिट में आने के बावजूद अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव और अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कृतेश अहारी की याचिका पर दिए हैं.

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याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में टीएसपी क्षेत्र के लिए नर्स ग्रेड द्वितीय के पदों पर भर्ती निकाली थी. याचिकाकर्ता का भर्ती की आरक्षित लिस्ट में नाम था. इसके बावजूद विभाग ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के बदले उससे कम अंक वाले दूसरे अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी.

याचिकाकर्ता की ओर से विभाग में इस संबंध में आपत्ति भी पेश की गई, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. याचिका में गुहार की गई है कि उससे कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई है. ऐसे में याचिकाकर्ता को भी नियुक्ति दी जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

अवमानना नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया...

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद तृतीय श्रेणी शिक्षक की वेतन विसंगति दूर नहीं करने पर प्रमुख कार्मिक सचिव रोली सिंह, माध्यमिक शिक्षा सचिव मंजू राजपाल और प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठठ ने यह आदेश प्रकाश चंद चंदोलिया की अवमानना याचिका पर दिए हैं.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2006 में तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्त हुआ है. राज्य सरकार ने उसका वेतन फिक्स करते समय 12 हजार 900 रुपए के बजाए 11 हजार 170 तय कर दिए है, जिसके चलते उसे आर्थिक रूप से घाटा उठाना पड़ रहा है. इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर अदालत ने गत वर्ष 21 मई को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता की वेतन विसंगतियों को दूर करने के आदेश दिए थे.

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इसके बावजूद भी अदालती आदेश की पालना में याचिकाकर्ता की वेतन विसंगति दूर नहीं की गई है. याचिका में गुहार की गई कि अदालती आदेश की पालना की जाए और दोषी अफसरों को अदालती आदेश की अवमानना करने पर दंडित किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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