जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कांग्रेस में शामिल हुए 6 बसपा विधायकों के (Rajasthan High Court) राज्यसभा में मतदान को लेकर दायर प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि यह याचिका लंबित रहने के दौरान पूर्व में राज्यसभा के चुनाव हो चुके हैं. लेकिन उस समय याचिकाकर्ता ने इसे चुनौती नहीं दी. इसके अलावा अब राज्यसभा के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है. ऐसे में कोर्ट मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं दे रही है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस उमाशंकर व्यास की अवकाशकालीन विशेष खंडपीठ ने यह आदेश हेमंत नाहटा की ओर से दायर प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए दिए.
हाइकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर नाहटा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी पेश कर दी गई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि विधानसभा स्पीकर की ओर से बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती दी गई थी. एकलपीठ ने याचिका को 24 अगस्त 2020 को निस्तारित कर दिया था और उसकी एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने चार अगस्त 2020 को यह याचिका दायर की थी. जिसे अभी तक स्वीकर भी नहीं किया गया है और ना ही संबंधित पक्षकारों नोटिस ही जारी हुए हैं. ऐसे में कोर्ट कोई अंतरिम आदेश देना उचित नहीं समझता है.
प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि विधानसभा स्पीकर ने ((Rajyasabha Election 2022) ) एक प्रशासनिक आदेश जारी कर 18 सितंबर 2019 को बसपा के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया गया था. इसे बसपा और विधायक मदन दिलावर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 24 अगस्त 2020 को याचिका निस्तारित करते हुए स्पीकर को बसपा और दिलावर की दल बदल याचिका को तीन माह में निस्तारित करने को कहा था. लेकिन स्पीकर ने अभी तक इसे तय नहीं किया है.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि चुनाव आयोग को इन छह विधायकों को कांग्रेस विधायक के रूप में दर्शा कर वोटर लिस्ट जारी की है. जिसे चुनौती देने पर आयोग की ओर से कहा गया कि स्पीकर के संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत पारित आदेश को आयोग रिव्यू नहीं कर सकता. जबकि हाईकोर्ट की एकलपीठ मान चुकी थी कि स्पीकर ने प्रशासनिक आदेश जारी कर यह मर्जर किया था. प्रार्थना पत्र में गुहार की गई कि आयोग ने त्रुटिपूर्ण वोटर लिस्ट जारी की है. ऐसे में राज्यसभा चुनाव में बसपा के इन विधायकों के मत अलग रखे जाएं और जब तक उनकी सदस्यता का निर्णय नहीं हो जाता, तब तक राज्यसभा के चुनाव परिणाम के नतीजे घोषित नहीं किए जाएं.