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सीएम कोविड रिलीफ फंड में जमा पैसा वापस कलेक्टर को दिलाने से हाईकोर्ट का इनकार - राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला

राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए दानदाताओं से एकत्रित राशि में से सीएम रिलीफ फंड में ट्रांसफर राशि को वापस कलेक्टर को देने के आदेश से इंकार कर दिया है.

कलेक्टर को पैसा देने से इनकार, Refusal to give money to collector
राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला
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Published : May 30, 2020, 7:55 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर कलेक्टर की ओर से कोरोना महामारी से लड़ने के लिए दानदाताओं से एकत्रित राशि में से सीएम रिलीफ फंड में ट्रांसफर राशि को वापस कलेक्टर को देने के आदेश से इंकार कर दिया है.

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश देवेंद्र सिंह शेखावत की जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि न्याय हित में अच्छा होता कि कोर्ट राज्य सरकार को कलेक्ट्री की एकत्रित राशि का हिसाब लेने के निर्देश देती, लेकिन बेहतर होगा कि राज्य सरकार ही यह काम करें.

पढ़ेंः राजस्थान में 31 मई के बाद भी जारी रहेगा रात्रिकालीन Curfew, हेल्थ प्रोटोकॉल को लेकर कोई VIP नहीं

अदालत ने कहा कि कोरोना महामारी के लिए रिलीफ फंड में एकत्रित राशि पूरे राज्य के लिए है और कोर्ट किसी क्षेत्र या जिला विशेष के लिए इसके इस्तेमाल का आदेश नहीं दे सकता. याचिका में कहा गया था कि अजमेर कलेक्टर ने दानदाताओं से कोविड-19 रिलीफ फंड के तहत सवा करोड़ रुपए एकत्रित किए और अलग से खुलवाए गए खाते में जमा करवा दिए.

वहीं इस राशि में से कलेक्टर ने 79 लाख रुपए सीएम रिलीफ फंड में ट्रांसफर कर दिए और गत 29 अप्रैल को बैंक खाता बंद कर दिया है. याचिका में कहा गया कि कलेक्टर ने अजमेर निवासियों से यह राशि एकत्रित की थी. इसलिए इस राशि का उपयोग अजमेर जिले में ही होना चाहिए.

पढ़ेंः स्कूल खुले तो Social Distancing पालन करवाना एक चुनौती, 2 पारी और बंद पड़े स्कूल भवनों में हो सकता है कक्षाओं का संचालन

याचिकाकर्ता ने सीएम रिलीफ फंड में दी गई राशि वापस कलेक्टर को दिलवाने और प्राप्त राशि का उपयोग कोरोना वॉरियर्स के लिए जरूरी उपकरण खरीदने में करने के निर्देश देने की गुहार की थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर कलेक्टर की ओर से कोरोना महामारी से लड़ने के लिए दानदाताओं से एकत्रित राशि में से सीएम रिलीफ फंड में ट्रांसफर राशि को वापस कलेक्टर को देने के आदेश से इंकार कर दिया है.

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश देवेंद्र सिंह शेखावत की जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि न्याय हित में अच्छा होता कि कोर्ट राज्य सरकार को कलेक्ट्री की एकत्रित राशि का हिसाब लेने के निर्देश देती, लेकिन बेहतर होगा कि राज्य सरकार ही यह काम करें.

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अदालत ने कहा कि कोरोना महामारी के लिए रिलीफ फंड में एकत्रित राशि पूरे राज्य के लिए है और कोर्ट किसी क्षेत्र या जिला विशेष के लिए इसके इस्तेमाल का आदेश नहीं दे सकता. याचिका में कहा गया था कि अजमेर कलेक्टर ने दानदाताओं से कोविड-19 रिलीफ फंड के तहत सवा करोड़ रुपए एकत्रित किए और अलग से खुलवाए गए खाते में जमा करवा दिए.

वहीं इस राशि में से कलेक्टर ने 79 लाख रुपए सीएम रिलीफ फंड में ट्रांसफर कर दिए और गत 29 अप्रैल को बैंक खाता बंद कर दिया है. याचिका में कहा गया कि कलेक्टर ने अजमेर निवासियों से यह राशि एकत्रित की थी. इसलिए इस राशि का उपयोग अजमेर जिले में ही होना चाहिए.

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याचिकाकर्ता ने सीएम रिलीफ फंड में दी गई राशि वापस कलेक्टर को दिलवाने और प्राप्त राशि का उपयोग कोरोना वॉरियर्स के लिए जरूरी उपकरण खरीदने में करने के निर्देश देने की गुहार की थी.

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