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राजस्थान हाई कोर्ट ने काउंसिल से पंजीकरण बिना भी लैब टैक्नीशियन को सेवा में रखने के आदेश दिए

राजस्थान हाई कोर्ट ने पैरा मेडिकल काउंसिल से पंजीकरण हुए बिना भी संविदा पर कार्यरत लैब टेक्नीशियन को सेवा में बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव, सीएमएचओ दौसा, राजस्थान पैरा मेडिकल काउंसिल से जवाब मांगा है.

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राजस्थान हाई कोर्ट ने काउंसिल से पंजीकरण बिना भी लैब टैक्नीशियन को सेवा में रखने के आदेश दिए
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Published : Jun 16, 2021, 2:00 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने पैरा मेडिकल काउंसिल से पंजीकरण हुए बिना भी संविदा पर कार्यरत लैब टेक्नीशियन को सेवा में बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव, सीएमएचओ दौसा, राजस्थान पैरा मेडिकल काउंसिल से जवाब मांगा है. हाई कोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश शैलेन्द्र कुमार शर्मा की याचिका पर दिया.

पढे़ं: राजस्थान हाई कोर्ट ने पाक विस्थापितों के वैक्सीनेशन पर केंद्र से मांगी रिपोर्ट

याचिका में अधिवक्ता एसके सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति 2013 में संविदा पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिकन्दरा, दौसा में लैब टेक्नीशियन के पद पर हुई थी. उसने 2015 में पैरा मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण के लिए आवेदन किया. लेकिन उसके आवेदन पर कोई निर्णय नहीं हुआ. इस दौरान उसकी सेवा जारी रही और 2016 में आरएमआरएस के जरिए भी उसे सेवा में बनाए रखने का आदेश विभाग ने दिया.

इसके बावजूद उससे प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए ही काम करवाया जाता रहा. इस दौरान एक फरवरी 2021 को काउंसिल ने सभी सीएमएचओ को निर्देश दिया कि ऐसे कार्मिकों को सेवा से हटाया जाए जिनका पंजीकरण नहीं है. इस आदेश के चलते याचिकाकर्ता की उपस्थिति दर्ज नहीं की जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को सेवा में बनाए रखने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

खान विभाग के कर्मचारी के तबादला आदेश पर रोक

राजस्थान हाई कोर्ट ने झुंझुनू में तैनात खान विभाग के कर्मचारी के तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए खान सचिव और खान निदेशक सहित अन्य से जवाब मांगा है. हाई कोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश हेमराज की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता झुंझुनू स्थित खान विभाग के कार्यालय में कर्मचारी है. विभाग ने उसे बीकानेर भेजते हुए उसके स्थान पर सिरोही में काम कर रहे एक अन्य कर्मचारी को लगा दिया. जबकि उस कर्मचारी को हाल ही में एसीबी ने ट्रैप किया था.

याचिका में कहा गया कि वह भूतपूर्व सैनिक कोटे में नियुक्त हुआ था. ऐसे में उसका पदस्थापन गृह जिले में ही रहना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के तबादला और रिलीव आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने पैरा मेडिकल काउंसिल से पंजीकरण हुए बिना भी संविदा पर कार्यरत लैब टेक्नीशियन को सेवा में बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव, सीएमएचओ दौसा, राजस्थान पैरा मेडिकल काउंसिल से जवाब मांगा है. हाई कोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश शैलेन्द्र कुमार शर्मा की याचिका पर दिया.

पढे़ं: राजस्थान हाई कोर्ट ने पाक विस्थापितों के वैक्सीनेशन पर केंद्र से मांगी रिपोर्ट

याचिका में अधिवक्ता एसके सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति 2013 में संविदा पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिकन्दरा, दौसा में लैब टेक्नीशियन के पद पर हुई थी. उसने 2015 में पैरा मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण के लिए आवेदन किया. लेकिन उसके आवेदन पर कोई निर्णय नहीं हुआ. इस दौरान उसकी सेवा जारी रही और 2016 में आरएमआरएस के जरिए भी उसे सेवा में बनाए रखने का आदेश विभाग ने दिया.

इसके बावजूद उससे प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए ही काम करवाया जाता रहा. इस दौरान एक फरवरी 2021 को काउंसिल ने सभी सीएमएचओ को निर्देश दिया कि ऐसे कार्मिकों को सेवा से हटाया जाए जिनका पंजीकरण नहीं है. इस आदेश के चलते याचिकाकर्ता की उपस्थिति दर्ज नहीं की जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को सेवा में बनाए रखने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

खान विभाग के कर्मचारी के तबादला आदेश पर रोक

राजस्थान हाई कोर्ट ने झुंझुनू में तैनात खान विभाग के कर्मचारी के तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए खान सचिव और खान निदेशक सहित अन्य से जवाब मांगा है. हाई कोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश हेमराज की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता झुंझुनू स्थित खान विभाग के कार्यालय में कर्मचारी है. विभाग ने उसे बीकानेर भेजते हुए उसके स्थान पर सिरोही में काम कर रहे एक अन्य कर्मचारी को लगा दिया. जबकि उस कर्मचारी को हाल ही में एसीबी ने ट्रैप किया था.

याचिका में कहा गया कि वह भूतपूर्व सैनिक कोटे में नियुक्त हुआ था. ऐसे में उसका पदस्थापन गृह जिले में ही रहना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के तबादला और रिलीव आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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