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क्वॉरेंटाइन सेंटर में कोरोना वॉरियर्स के परिजनों से भेदभाव मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश - राजस्थान न्यूज़

कोरोना वॉरियर्स के परिजनों से क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेदभाव के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को सभी खर्च का हिसाब रखना चाहिए. इसके बावजूद अगर याचिकाकर्ता को कोई चूक नजर आती है तो वो संबंधित उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के लिए शिकायत दे सकता है. साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकांश कोरोना वॉरियर्स सरकारी कर्मचारी है, जो समर्पित होकर काम कर रहे हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेदभाव, Rajasthan High Court
भेदभाव के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने दिया आदेश
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Published : May 4, 2020, 5:54 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए कोरोना वॉरियर्स के परिजनों को तय सुविधाएं नहीं देने और उनके साथ भेदभाव के मामले में कहा है कि राज्य सरकार को सभी खर्च का हिसाब रखना चाहिए. इसके बावजूद अगर याचिकाकर्ता को कोई चूक नजर आती है तो वो संबंधित उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के लिए शिकायत दे सकता है.

पढ़ें: प्रवासियों को उनके घर पहुंचाना राज्य सरकार का कर्म और धर्म: उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश प्रकाश ठाकुर की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया. साथ ही हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना महामारी को लेकर पहल आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं, जो कि कोरोना वॉरियर्स पर भी समान रूप से लागू होते हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकांश कोरोना वॉरियर्स सरकारी कर्मचारी है, जो समर्पित होकर काम कर रहे हैं.

पढ़ें: हमारा लक्ष्य 25 हजार टेस्ट प्रतिदिन करना है, अमेरिका से मंगाई दो मशीनें : CM गहलोत

बता दें कि याचिका में कहा गया था कि सरकार कुछ क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए प्रत्येक व्यक्ति पर रोजाना 2440 रुपये खर्च कर रही है. इसमें 80 रुपये पानी और 600 रुपये भोजन का खर्चा भी शामिल है, जबकि कई सेंटर्स के हालात खराब है. इनमें न तो नियमित सफाई होती है और ना ही इन्हें सैनिटाइज किया गया है. वहीं, महिला और पुरुष को एक ही वार्ड में रखने के साथ ही उन्हें उचित गुणवत्ता का भोजन और पानी भी नहीं दिया जा रहा. यहां संक्रमित हुए कोरोना वॉरियर्स के परिजनों को भी रखा गया है, लेकिन उन पर तय राशि सही रूप से खर्च नहीं हो रही है.

बकाया राशि वसूली को लेकर दायर जनहित याचिका खारिज

राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड से रॉयल्टी के मद में बकाया राशि की वसूली को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामले में एक जनहित याचिका पहले से लंबित है. ऐसे में इस जनहित याचिका पर सुनवाई का कोई अर्थ नहीं है. याचिका में कहा गया कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड पर करीब 1900 करोड़ रुपये की वसूली बकाया चल रही है. रॉयल्टी के मद में बकाया इस राशि को वसूलने के लिए खान विभाग भी कंपनी को पूर्व में नोटिस दे चुका है. ऐसे में बकाया राशि की वसूली की जाए, जिससे वो कोरोना संक्रमण में सरकार के काम आ सके. इसके अलावा कंपनी मालिकों के खिलाफ धोखाधड़ी करने को लेकर कार्रवाई भी की जानी चाहिए.

वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने बिना रिसर्च किए ये जनहित याचिका पेश की है. मामले में एक पीआईएल पहले से लंबित है. इसमें अदालत अंतरिम आदेश भी दे चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर करने की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए कोरोना वॉरियर्स के परिजनों को तय सुविधाएं नहीं देने और उनके साथ भेदभाव के मामले में कहा है कि राज्य सरकार को सभी खर्च का हिसाब रखना चाहिए. इसके बावजूद अगर याचिकाकर्ता को कोई चूक नजर आती है तो वो संबंधित उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के लिए शिकायत दे सकता है.

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मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश प्रकाश ठाकुर की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया. साथ ही हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना महामारी को लेकर पहल आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं, जो कि कोरोना वॉरियर्स पर भी समान रूप से लागू होते हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकांश कोरोना वॉरियर्स सरकारी कर्मचारी है, जो समर्पित होकर काम कर रहे हैं.

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बता दें कि याचिका में कहा गया था कि सरकार कुछ क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए प्रत्येक व्यक्ति पर रोजाना 2440 रुपये खर्च कर रही है. इसमें 80 रुपये पानी और 600 रुपये भोजन का खर्चा भी शामिल है, जबकि कई सेंटर्स के हालात खराब है. इनमें न तो नियमित सफाई होती है और ना ही इन्हें सैनिटाइज किया गया है. वहीं, महिला और पुरुष को एक ही वार्ड में रखने के साथ ही उन्हें उचित गुणवत्ता का भोजन और पानी भी नहीं दिया जा रहा. यहां संक्रमित हुए कोरोना वॉरियर्स के परिजनों को भी रखा गया है, लेकिन उन पर तय राशि सही रूप से खर्च नहीं हो रही है.

बकाया राशि वसूली को लेकर दायर जनहित याचिका खारिज

राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड से रॉयल्टी के मद में बकाया राशि की वसूली को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामले में एक जनहित याचिका पहले से लंबित है. ऐसे में इस जनहित याचिका पर सुनवाई का कोई अर्थ नहीं है. याचिका में कहा गया कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड पर करीब 1900 करोड़ रुपये की वसूली बकाया चल रही है. रॉयल्टी के मद में बकाया इस राशि को वसूलने के लिए खान विभाग भी कंपनी को पूर्व में नोटिस दे चुका है. ऐसे में बकाया राशि की वसूली की जाए, जिससे वो कोरोना संक्रमण में सरकार के काम आ सके. इसके अलावा कंपनी मालिकों के खिलाफ धोखाधड़ी करने को लेकर कार्रवाई भी की जानी चाहिए.

वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने बिना रिसर्च किए ये जनहित याचिका पेश की है. मामले में एक पीआईएल पहले से लंबित है. इसमें अदालत अंतरिम आदेश भी दे चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर करने की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है.

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