जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व मंडल में सदस्य रहते हुए भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में आईएएस रविशंकर श्रीवास्तव को राहत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने श्रीवास्तव के खिलाफ दी गई अभियोजन स्वीकृति को निष्पक्ष रूप से दिया जाना माना (Court on prosecution approval in IAS case) है. जस्टिस उमाशंकर व्यास ने यह आदेश रविशंकर श्रीवास्तव की रिवीजन याचिका को खारिज करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि प्रकरण 18 साल पुराना है, ऐसे में इसकी जल्दी ट्रायल होनी चाहिए.
याचिकाकर्ता की ओर से एसीबी कोर्ट क्रम-2 के 1 अप्रैल, 2019 के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस आदेश में एसीबी कोर्ट ने श्रीवास्तव के खिलाफ जारी अभियोजन स्वीकृति को सही माना था. रिवीजन में कहा गया कि राजस्व मंडल में सदस्य के कार्यकाल के दौरान रिश्वत लेकर पक्षपातपूर्ण आदेश देने का आरोप लगाते हुए वर्ष 2004 में याचिकाकर्ता के खिलाफ एसीबी ने मामला दर्ज किया (Bribe case on IAS) था. वहीं मामले में केन्द्र सरकार की ओर से अभियोजन स्वीकृति जारी की गई.
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याचिका में इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि केन्द्र सरकार ने मामले में राज्य सरकार की ओर से दी गई अभियोजन स्वीकृति की कॉपी की है और इसे मशीनी अंदाज में जारी किया गया है. इसके अलावा यह स्वीकृति संबंधित मंत्री ही दे सकता था, लेकिन स्वीकृति पर डीओपीटी के अवर सचिव के हस्ताक्षर हैं. ऐसे में स्वीकृति को वैध नहीं माना जा सकता. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि स्वीकृति देने की शब्दावली एक समान ही होती है. इसके अलावा निर्णय मंत्री का ही होता है, जिसे अवर सचिव के जरिए लागू किया जाता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया है.
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मामले में अनुसार रविशंकर श्रीवास्तव के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से अभियोजन स्वीकृति दी गई. केन्द्र सरकार की स्वीकृति के मामले में विशेष अदालत ने 15 जनवरी, 2007 को माना कि स्वीकृति सक्षम अधिकारी ने दी है. इसके साथ ही अदालत ने स्वीकृति देने वाले अधिकारी को तलब किया. संबंधित अधिकारी के बयान दर्ज करने के बाद अदालत ने 1 अप्रैल, 2019 को माना कि स्वीकृति विधि अनुसार जारी की गई है. इस आदेश को रविशंकर श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.