जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कॉलेज शिक्षा आयुक्त के पेनल्टी वसूलने संबंधि आदेश को (Private College Education Policy in Rajasthan) गलत माना है और वसूली गई राशि को लौटाने को कहा है. अदालत ने कहा कि दो माह में राशि नहीं लौटाने पर उस पर छह फीसदी ब्याज भी दिया जाए.
वहीं, अदालत ने कॉलेज प्रशासन को कहा है कि वह सरकार की ओर से मिलने वाली पेनल्टी राशि का उपयोग स्टूडेंट वेलफेयर फंड में करें. अदालत ने यह भी कहा है कि कॉलेज और विभाग के इस विवाद के बीच छात्रों के हित प्रभावित ना हो और उनका परिणाम, अंकतालिका और प्रवेश पत्र सहित अन्य दस्तावेजों को रोका नहीं जाए. इसके अलावा छात्रों को भविष्य में होने वाली परीक्षाओं में शामिल होने से भी नहीं रोका जाए.
जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश सीता देवी एजुकेशन सोसायटी व 41 अन्य की याचिका पर दिए. याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र शाह ने अदालत को बताया कि कॉलेज शिक्षा आयुक्त ने निजी कॉलेज शिक्षा नीति के तहत कुछ कमियां बताकर याचिकाकर्ता निजी कॉलेजों पर पेनल्टी लगा दी. वहीं, आयुक्त यह राशि वसूल कर ही हर साल अस्थाई एनओसी जारी करते हैं. जबकि राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 की धारा 33, 34, 35 और धारा 42 के तहत राज्य सरकार के अधिकारियों को निजी कॉलेज पर आर्थिक दंड लगाने का अधिकार नहीं है और ना ही ऐसी कोई नीति बनाई जा सकती है, जिसके तहत अर्थ दंड लगाने का प्रावधान हो.
याचिका में यह भी कहा गया कि इस शिक्षा नीति को कैबिनेट की बैठक में पारित नहीं किया गया और ना ही वर्ष 1989 के अधिनियम में इस तरह की नीति बनाने का अधिकार है. ऐसे में यह संविधान के अनुच्छेद 162 से अनुच्छेद 167 के प्रावधानों के तहत (Rajasthan High Court Order) सरकारी नीति की परिभाषा में नहीं आती. याचिका में कहा गया कि यदि किसी कॉलेज का मैनेजमेंट नियमानुसार नहीं चल रहा या कॉलेज का सचिव अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहा तो राज्य सरकार परिवादी के तौर पर उस कॉलेज के खिलाफ निचली अदालत में परिवाद पेश कर सकती है, लेकिन उसे इस तरह पेनल्टी लगाने का अधिकार नहीं है.
वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार के पास इस तरह की नीति बनाने की शक्ति है. जिस पर सुनवाई करते हुए (Rajasthan High Court on Collecting Penalty) एकलपीठ ने पेनल्टी को गलत मानते हुए याचिकाकर्ता कॉलेजों से वसूली गई राशि दो माह में लौटाने को कहा है.