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हाईकोर्ट: राजस्थान विश्वविद्यालय के वीसी और विधि संकाय के डीन को नोटिस, पूछा परीक्षाएं कराने के संबंध में क्या निर्णय लिया

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Published : Jul 9, 2020, 6:58 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के वीसी और विधि संकाय के डीन को नोटिस जारी कर पूछा है कि परीक्षाएं कराने के संबंध में क्या निर्णय लिया गया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश लोकेंद्र सिंह की जनहित याचिका पर दिए.

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राजस्थान विश्वविद्यालय के वीसी और विधि संकाय के डीन को नोटिस

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के वीसी और विधि संकाय के डीन को नोटिस जारी कर पूछा है कि विद्यार्थियों की परीक्षाएं कराने के संबंध में क्या निर्णय लिया गया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश लोकेंद्र सिंह की जनहित याचिका पर दिए.

पढ़ें: राजस्थान में भी नीरव मोदी की कंपनी पर ED का शिकंजा, जैसलमेर में 48 करोड़ की संपत्ति अटैच

याचिका में कहा गया कि कोरोना महामारी का सबसे अधिक प्रभाव उन छात्रों पर पड़ा है, जो अपने अभिभावकों या स्कॉलरशिप पर पूरी तरह से निर्भर हैं. संक्रमण के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के संबंध में कोई पुख्ता निर्णय नहीं लिया है. विश्वविद्यालय ने एक ओर छात्रों को अस्थाई रूप से अगली कक्षा में प्रमोट करने का फैसला लिया है. वहीं दूसरी ओर छात्रों से परीक्षा फीस भी वसूल कर ली. वहीं अब तक परीक्षा आयोजित कराने को लेकर कोई दिशा-निर्देश भी जारी नहीं किए हैं.

याचिका में कहा गया कि महामारी के इस दौर में जब सभी को मदद की जरूरत है, विश्वविद्यालय प्रशासन बिना किसी छूट के अन्य मदों में भी फीस वसूल कर रहा है. ऐसे में विश्वविद्यालय का यह कदम छात्रों को प्रताड़ित करने जैसा है. याचिका में गुहार की गई है कि छात्रों को प्रमोट करने और परीक्षाएं आयोजित कराने के संबंध में ठोस निर्णय लिया जाए. इसके साथ ही फीस माफ करने या उसमें छूट देने पर भी विचार किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के वीसी और विधि संकाय के डीन को नोटिस जारी कर पूछा है कि विद्यार्थियों की परीक्षाएं कराने के संबंध में क्या निर्णय लिया गया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश लोकेंद्र सिंह की जनहित याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि कोरोना महामारी का सबसे अधिक प्रभाव उन छात्रों पर पड़ा है, जो अपने अभिभावकों या स्कॉलरशिप पर पूरी तरह से निर्भर हैं. संक्रमण के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के संबंध में कोई पुख्ता निर्णय नहीं लिया है. विश्वविद्यालय ने एक ओर छात्रों को अस्थाई रूप से अगली कक्षा में प्रमोट करने का फैसला लिया है. वहीं दूसरी ओर छात्रों से परीक्षा फीस भी वसूल कर ली. वहीं अब तक परीक्षा आयोजित कराने को लेकर कोई दिशा-निर्देश भी जारी नहीं किए हैं.

याचिका में कहा गया कि महामारी के इस दौर में जब सभी को मदद की जरूरत है, विश्वविद्यालय प्रशासन बिना किसी छूट के अन्य मदों में भी फीस वसूल कर रहा है. ऐसे में विश्वविद्यालय का यह कदम छात्रों को प्रताड़ित करने जैसा है. याचिका में गुहार की गई है कि छात्रों को प्रमोट करने और परीक्षाएं आयोजित कराने के संबंध में ठोस निर्णय लिया जाए. इसके साथ ही फीस माफ करने या उसमें छूट देने पर भी विचार किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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