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Court on Bank Scam : बैंक घोटाले मामले में अनुसंधान का नतीजा पेश करने पर लगी रोक हटाई - Court on Bank Scam

वैशाली अरबन कोऑपरेटिव बैंक घोटाले से जुड़े मामले में दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश करने पर लगी रोक को हटा (Court remove ban on charge sheet) दिया. इससे पहले 22 फरवरी को आदेश दिया गया था कि जांच का नतीजा कोर्ट में पेश नहीं किया जाए.

Rajasthan high court remove ban on charge sheet in Bank scam
बैंक घोटाले मामले में अनुसंधान का नतीजा पेश करने पर लगी रोक हटाई
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Published : Jul 19, 2022, 5:41 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वैशाली अरबन कोऑपरेटिव बैंक घोटाले से जुड़े मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश करने पर लगी रोक को हटा लिया (Court remove ban on charge sheet) है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार और बैंक के लिक्विडेटर से जवाब तलब किया है. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार ने यह आदेश कमल मेहता की आपराधिक याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि बैंक में जमा राशि के दुरुपयोग और फर्जी दस्तावेज बनाने को लेकर बैंक के लिक्विडेटर ने 10 मार्च, 2014 को श्याम नगर थाने में याचिकाकर्ता सहित बोर्ड के अन्य निदेशकों और अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई (Vaishali Urban Cooperative Bank) थी. वहीं मामले में वर्ष 2015 में याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया गया था. याचिका में कहा गया कि सहकारिता रजिस्ट्रार के समक्ष लंबित अपील में लिक्विडेटर ने बताया कि 6 करोड़ 70 लाख 62 हजार रुपए से अधिक राशि की कमी पाई गई है.

पढ़ें: सदन में अलवर को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले की गूंज, बोले बलजीत यादव- वसुंधरा की तरह गहलोत सरकार भी नींद में

वहीं याचिकाकर्ता की ओर से समय-समय पर भुगतान करते हुए इस राशि को जमा कराया जा चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर में अब कोई जांच की जरूरत नहीं है. ऐसे में इस एफआईआर को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गत 22 फरवरी को आदेश दिए थे कि आगामी तिथि तक अनुसंधान का नतीजा अदालत में पेश नहीं किया जाए. वहीं अदालत ने अब इस रोक को हटाते हुए राज्य सरकार व लिक्विडेटर से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वैशाली अरबन कोऑपरेटिव बैंक घोटाले से जुड़े मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश करने पर लगी रोक को हटा लिया (Court remove ban on charge sheet) है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार और बैंक के लिक्विडेटर से जवाब तलब किया है. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार ने यह आदेश कमल मेहता की आपराधिक याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि बैंक में जमा राशि के दुरुपयोग और फर्जी दस्तावेज बनाने को लेकर बैंक के लिक्विडेटर ने 10 मार्च, 2014 को श्याम नगर थाने में याचिकाकर्ता सहित बोर्ड के अन्य निदेशकों और अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई (Vaishali Urban Cooperative Bank) थी. वहीं मामले में वर्ष 2015 में याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया गया था. याचिका में कहा गया कि सहकारिता रजिस्ट्रार के समक्ष लंबित अपील में लिक्विडेटर ने बताया कि 6 करोड़ 70 लाख 62 हजार रुपए से अधिक राशि की कमी पाई गई है.

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वहीं याचिकाकर्ता की ओर से समय-समय पर भुगतान करते हुए इस राशि को जमा कराया जा चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर में अब कोई जांच की जरूरत नहीं है. ऐसे में इस एफआईआर को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गत 22 फरवरी को आदेश दिए थे कि आगामी तिथि तक अनुसंधान का नतीजा अदालत में पेश नहीं किया जाए. वहीं अदालत ने अब इस रोक को हटाते हुए राज्य सरकार व लिक्विडेटर से जवाब तलब किया है.

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