जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वैशाली अरबन कोऑपरेटिव बैंक घोटाले से जुड़े मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश करने पर लगी रोक को हटा लिया (Court remove ban on charge sheet) है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार और बैंक के लिक्विडेटर से जवाब तलब किया है. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार ने यह आदेश कमल मेहता की आपराधिक याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि बैंक में जमा राशि के दुरुपयोग और फर्जी दस्तावेज बनाने को लेकर बैंक के लिक्विडेटर ने 10 मार्च, 2014 को श्याम नगर थाने में याचिकाकर्ता सहित बोर्ड के अन्य निदेशकों और अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई (Vaishali Urban Cooperative Bank) थी. वहीं मामले में वर्ष 2015 में याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया गया था. याचिका में कहा गया कि सहकारिता रजिस्ट्रार के समक्ष लंबित अपील में लिक्विडेटर ने बताया कि 6 करोड़ 70 लाख 62 हजार रुपए से अधिक राशि की कमी पाई गई है.
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वहीं याचिकाकर्ता की ओर से समय-समय पर भुगतान करते हुए इस राशि को जमा कराया जा चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर में अब कोई जांच की जरूरत नहीं है. ऐसे में इस एफआईआर को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गत 22 फरवरी को आदेश दिए थे कि आगामी तिथि तक अनुसंधान का नतीजा अदालत में पेश नहीं किया जाए. वहीं अदालत ने अब इस रोक को हटाते हुए राज्य सरकार व लिक्विडेटर से जवाब तलब किया है.