जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने खनन नीति-2020 के तहत नदी के दोनों तरफ पांच-पांच किलोमीटर की दूरी में खातेदारी भूमि पर बजरी खनन के पट्टे जारी नहीं करने पर खान एवं पर्यावरण मंत्रालय सचिव और प्रदेश के खान सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश विजय लड्ढा की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी खनन नीति-2020 में प्रावधान है कि नदी के दोनों तरफ पांच-पांच किलोमीटर की दूरी में आने वाली खातेदारी भूमि पर बजरी खनन के पट्टे संबंधित भूमि पर बजरी का पुनर्भरण की संभावना की योजना पेश करने पर ही दिए जाएंगे. इसके अलावा खनन नीति में यह भी प्रावधान किया गया कि जिस नदी में बजरी का पुनर्भरण संभव नहीं है. उसके दोनों तरफ इस दूरी की खातेदारी भूमि पर बजरी के खनन पट्टे दिए जा सकते हैं, लेकिन इस बजरी का उपयोग सिर्फ सरकारी प्रोजेक्ट के लिए ही किया जाएगा.
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याचिका में कहा गया कि खनन नीति में इस तरह की शर्तें अवैध हैं. नदी के आसपास के खेतों में बाढ़ के कारण बजरी आती है, जिसका पुनर्भरण नहीं होता है. वहीं संबंधित भूमि से बजरी नहीं हटाई जाए तो वह खेती के काम नहीं आती है. वर्ष 2015 की नीति में इन जमीनों पर खनन पट्टे देने का प्रावधान था. ऐसे में नई खनन नीति की इन शर्तों को अवैध घोषित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.