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फ्लैट की निर्माण लागत में कमी का लाभ खरीदार को क्यों नहीं : हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने आवासन मंडल की स्ववित्त पोषित योजना में फ्लैट की अनुमानित कीमत कम होने का फायदा खरीदार को नहीं देने पर आवासन मंडल सहित अन्य को नोटिस जारी किया है.

Case of self funded scheme,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Oct 3, 2020, 8:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आवासन मंडल की स्ववित्त पोषित योजना में फ्लैट की अनुमानित कीमत कम होने का फायदा खरीदार को नहीं देने पर आवासन मंडल सहित अन्य को नोटिस जारी किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश रेखा गोयल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि राजस्थान आवासन मंडल ने वर्ष 2014 में स्ववित्त पोषित योजना के तहत मानसरोवर में 93 फ्लैट के निर्माण की योजना बनाई. जिसमें एक फ्लैट की अनुमानित कीमत 51 लाख 50 हजार रुपए आंकी गई. करीब 5 साल तक मौके पर निर्माण कार्य शुरू नहीं किया. वहीं, गत वर्ष जुलाई महीने में मंडल ने ठेकेदार को वर्क ऑर्डर दे दिया, जिसके अनुसार अब फ्लैट की निर्माण लागत घटने से कीमत घटकर 34 लाख 28 हजार रुपए पर आ गई है.

पढ़ें- हाईकोर्ट खंडपीठ के आदेश पर अभिभावकों में खुशी की लहर, कहा- स्कूल संचालक फीस के लिए बना रहे थे दबाव

याचिका में कहा गया कि आवासन मंडल जनहित में पूरी तरह से बिना लाभ-हानि के सिद्धांत पर आम जनता को आवास उपलब्ध कराने के लिए काम करता है. इसके चलते जब निर्माण लागत कम हुई है तो इसका फायदा खरीदार को मिलना चाहिए. ऐसे में फ्लैट की डेढ़ गुना कीमत वसूलना पूरी तरीके से अवैध है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.

अदालती आदेश के बावजूद भी वेतन लाभ नहीं देने पर अवमानना नोटिस जारी

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश के बावजूद सेवानिवृत्त ग्राम विकास अधिकारी को चयनित वेतनमान और सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं देने पर प्रमुख पंचायती राज सचिव और करौली जिला परिषद के सीईओ सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश ओम प्रकाश शर्मा की अवमानना याचिका पर दिए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आवासन मंडल की स्ववित्त पोषित योजना में फ्लैट की अनुमानित कीमत कम होने का फायदा खरीदार को नहीं देने पर आवासन मंडल सहित अन्य को नोटिस जारी किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश रेखा गोयल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि राजस्थान आवासन मंडल ने वर्ष 2014 में स्ववित्त पोषित योजना के तहत मानसरोवर में 93 फ्लैट के निर्माण की योजना बनाई. जिसमें एक फ्लैट की अनुमानित कीमत 51 लाख 50 हजार रुपए आंकी गई. करीब 5 साल तक मौके पर निर्माण कार्य शुरू नहीं किया. वहीं, गत वर्ष जुलाई महीने में मंडल ने ठेकेदार को वर्क ऑर्डर दे दिया, जिसके अनुसार अब फ्लैट की निर्माण लागत घटने से कीमत घटकर 34 लाख 28 हजार रुपए पर आ गई है.

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याचिका में कहा गया कि आवासन मंडल जनहित में पूरी तरह से बिना लाभ-हानि के सिद्धांत पर आम जनता को आवास उपलब्ध कराने के लिए काम करता है. इसके चलते जब निर्माण लागत कम हुई है तो इसका फायदा खरीदार को मिलना चाहिए. ऐसे में फ्लैट की डेढ़ गुना कीमत वसूलना पूरी तरीके से अवैध है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.

अदालती आदेश के बावजूद भी वेतन लाभ नहीं देने पर अवमानना नोटिस जारी

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश के बावजूद सेवानिवृत्त ग्राम विकास अधिकारी को चयनित वेतनमान और सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं देने पर प्रमुख पंचायती राज सचिव और करौली जिला परिषद के सीईओ सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश ओम प्रकाश शर्मा की अवमानना याचिका पर दिए.

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