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राजस्थान हाईकोर्ट : आतिशबाजी को लेकर लगाई गई शर्तों का बारीकी से अध्ययन करे राज्य सरकार - एनजीटी

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को आतिशबाजी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गत वर्ष 13 नवंबर को लगाई गई शर्तों का बारीकी से अध्ययन करेने को कहा है.

Rajasthan High Court
आतिशबाजी को लेकर लगाई गई शर्तों का बारीकी से अध्ययन करे राज्य सरकार
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Published : Oct 29, 2021, 8:11 PM IST

Updated : Oct 29, 2021, 8:22 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आतिशबाजी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गत वर्ष 13 नवंबर को लगाई गई शर्तों का बारीकी से अध्ययन करने को कहा है. इसके साथ ही जरूरी हो तो तीन दिन में गाइडलाइन में संशोधन करे सरकार.

वहीं यदि सुप्रीम कोर्ट से अलग से निर्देश आते हैं तो सरकार उसके अनुसार आगे की कार्रवाई करे. न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश फरजंद अली की खंडपीठ ने यह आदेश एसके सिंह की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए हैं. अदालत ने कहा कि याचिका के लंबित रहने के दौरान राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के निर्देशों के तहत गाइडलाइन में संशोधन कर दिया है.

पढ़ें. NGT ने देश के कई शहरों में पटाखे फोड़ने पर लगाया प्रतिबंध, NCR समेत इन शहरों में नहीं जलेंगे दीपावली के पटाखे

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी एसएस राघव ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व में अधिसूचना जारी कर पूरे प्रदेश में आतिशबाजी पर रोक लगा दी थी. गत 15 अक्टूबर को पुरानी अधिसूचना को वापस लेते हुए सिर्फ एनसीआर में आतिशबाजी पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई है. इसके अलावा शेष प्रदेश में ग्रीन आतिशबाजी की अनुमति दी गई है. आतिशबाजी का समय भी शाम आठ बजे से रात दस बजे तक तय किया गया है.

पढ़ें. प्रदूषण न संक्रमण...ग्रीन पटाखों से मनेगी दिवाली... एक क्लिक में जानें ग्रीन पटाखे और सामान्य पटाखों में अंतर...

याचिका में कहा गया था कि टोक्यो ओलम्पिक और दुबई एक्सपो सहित नववर्ष के मौके पर दुनिया के कई देशों में आतिशबाजी हुई थी, लेकिन वहां कोरोना के मरीजों की संख्या नहीं बढ़ी. प्रदेश में सैकडों फैक्ट्री और उद्योग चल रहे हैं, लेकिन उन्हें भी बंद नहीं किया गया है. वहीं पिछले दो साल से आतिशबाजी पर रोक लगाकर दिवाली मनाने से रोका जा रहा है. याचिका में कहा गया कि कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद अब प्रदेश में बीमारी काफी हद तक नियंत्रण में है. इसके अलावा सिनेमा, स्कूल और धार्मिक स्थल आदि भी खोले जा चुके हैं. अन्य राज्यों में भी आतिशबाजी पर रोक नहीं लगाई गई है. ऐसे में प्रदेश में आतिशबाजी पर रोक लगाना उचित नहीं है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आतिशबाजी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गत वर्ष 13 नवंबर को लगाई गई शर्तों का बारीकी से अध्ययन करने को कहा है. इसके साथ ही जरूरी हो तो तीन दिन में गाइडलाइन में संशोधन करे सरकार.

वहीं यदि सुप्रीम कोर्ट से अलग से निर्देश आते हैं तो सरकार उसके अनुसार आगे की कार्रवाई करे. न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश फरजंद अली की खंडपीठ ने यह आदेश एसके सिंह की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए हैं. अदालत ने कहा कि याचिका के लंबित रहने के दौरान राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के निर्देशों के तहत गाइडलाइन में संशोधन कर दिया है.

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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी एसएस राघव ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व में अधिसूचना जारी कर पूरे प्रदेश में आतिशबाजी पर रोक लगा दी थी. गत 15 अक्टूबर को पुरानी अधिसूचना को वापस लेते हुए सिर्फ एनसीआर में आतिशबाजी पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई है. इसके अलावा शेष प्रदेश में ग्रीन आतिशबाजी की अनुमति दी गई है. आतिशबाजी का समय भी शाम आठ बजे से रात दस बजे तक तय किया गया है.

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याचिका में कहा गया था कि टोक्यो ओलम्पिक और दुबई एक्सपो सहित नववर्ष के मौके पर दुनिया के कई देशों में आतिशबाजी हुई थी, लेकिन वहां कोरोना के मरीजों की संख्या नहीं बढ़ी. प्रदेश में सैकडों फैक्ट्री और उद्योग चल रहे हैं, लेकिन उन्हें भी बंद नहीं किया गया है. वहीं पिछले दो साल से आतिशबाजी पर रोक लगाकर दिवाली मनाने से रोका जा रहा है. याचिका में कहा गया कि कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद अब प्रदेश में बीमारी काफी हद तक नियंत्रण में है. इसके अलावा सिनेमा, स्कूल और धार्मिक स्थल आदि भी खोले जा चुके हैं. अन्य राज्यों में भी आतिशबाजी पर रोक नहीं लगाई गई है. ऐसे में प्रदेश में आतिशबाजी पर रोक लगाना उचित नहीं है.

Last Updated : Oct 29, 2021, 8:22 PM IST
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