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मेडिकल बोर्ड अभ्यर्थियों की दिव्यांगता का परीक्षण करें : हाई कोर्ट - राजस्थान हाई कोर्ट न्यूज

राजस्थान हाई कोर्ट ने एएनएम और जीएनएम भर्ती-2018 याचिकाकर्ता दिव्यांगों के परीक्षण के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज का मेडिकल बोर्ड गठित किया है. अदालत ने बोर्ड से 12 मार्च को अभ्यर्थियों का मेडिकल करने को कहा है.

Rajasthan High Court News, जयपुर न्यूज
मेडिकल बोर्ड करें अभ्यर्थियों की दिव्यांगता का परीक्षण: हाई कोर्ट
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Published : Mar 7, 2020, 10:54 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने एएनएम और जीएनएम भर्ती-2018 याचिकाकर्ता दिव्यांगों के परीक्षण के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज का मेडिकल बोर्ड गठित किया है. अदालत ने 12 मार्च को अभ्यर्थियों का मेडिकल करने को कहा है. अदालत ने कहा है कि बोर्ड अभ्यर्थियों की दिव्यांगता का परीक्षण कर उन्हें उचित प्रमाण पत्र जारी करें. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश सुनीता कुमारी और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिए.

पढ़ें- नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास

याचिकाओं में कहा गया कि याचिकाकर्ता चालीस फीसदी से अधिक दिव्यांग हैं. इसके बावजूद उनका वापस मेडिकल करवाकर दिव्यांगता का प्रतिशत कर कर दिया गया है. इसके अलावा जो याचिकाकर्ता दोनों पांव से दिव्यांग हैं, उन्हें भी भर्ती में आरक्षण का लाभ दिया जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि भर्ती विज्ञापन के तहत लोको मोटर डिसएबिलिटी और एक पांव से दिव्यांग की ही शर्त है. इसके बावजूद भी यदि अदालत चाहे तो नया मेडिकल बोर्ड गठित कर सकती है.

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने एएनएम और जीएनएम भर्ती-2018 याचिकाकर्ता दिव्यांगों के परीक्षण के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज का मेडिकल बोर्ड गठित किया है. अदालत ने 12 मार्च को अभ्यर्थियों का मेडिकल करने को कहा है. अदालत ने कहा है कि बोर्ड अभ्यर्थियों की दिव्यांगता का परीक्षण कर उन्हें उचित प्रमाण पत्र जारी करें. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश सुनीता कुमारी और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिए.

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याचिकाओं में कहा गया कि याचिकाकर्ता चालीस फीसदी से अधिक दिव्यांग हैं. इसके बावजूद उनका वापस मेडिकल करवाकर दिव्यांगता का प्रतिशत कर कर दिया गया है. इसके अलावा जो याचिकाकर्ता दोनों पांव से दिव्यांग हैं, उन्हें भी भर्ती में आरक्षण का लाभ दिया जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि भर्ती विज्ञापन के तहत लोको मोटर डिसएबिलिटी और एक पांव से दिव्यांग की ही शर्त है. इसके बावजूद भी यदि अदालत चाहे तो नया मेडिकल बोर्ड गठित कर सकती है.

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