जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पत्थर का अवैध खनन करने पर विभाग की ओर से लगाए जुर्माने के खिलाफ दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर दस-दस लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए चार सप्ताह में हर्जाना राशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश प्रदीप कुमार और कपिल जैन की याचिकाओं पर दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विभाग के जुर्माना लगाने के खिलाफ याचिकाकर्ता को अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील पेश करनी चाहिए थी, लेकिन उनकी ओर से अनावश्यक रूप से हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई. जिसके चलते दूसरे महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई नहीं हो सकी.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को भरतपुर के पहाड़ी तहसील में एक हेक्टर खनन का लाईसेंस मिला हुआ है. वहीं गत 10 नवंबर को खान अभियंता ने अवैध खनन को लेकर याचिकाकर्ता को नोटिस जारी करने के बाद 22 दिसंबर को एक याचिकाकर्ता पर छह करोड़ 28 लाख रुपए और दूसरे याचिकाकर्ता पर करीब सवा करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया.
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वहीं विभाग ने अतिरिक्त खान निदेशक का काम अधीक्षण खान अभियंता को सौंप रखा है, जो कि कनिष्ठ अधिकारी होने के चलते अपील सुनने का अधिकार नहीं रखते. ऐसे में जुर्माना राशि के आदेश को रद्द किया जाए. जिसके जवाब में सरकार की ओर से अधिवक्ता जाकिर हुसैन ने कहा कि विभाग ने नियमानुसार पेनल्टी लगाई है. अतिरिक्त खान निदेशक का पद खाली होने के चलते अधीक्षण अभियंता को चार्ज सौंपा गया था. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को अपीलीय अधिकारी के तौर पर अधीक्षण अभियंता के समक्ष अपील दायर करनी चाहिए थी.